मेरठ : अलविदा से पहले पुलिस का फरमान, सड़क पर नमाज पढ़ी तो लाइसेंस-पासपोर्ट होगा रद

अमृत विचार : रमजान का आखिरी जुमा (अलविदा) कल है। यूपी में अलविदा और ईद की तैयारियां चल रही हैं। इस बीच सड़क पर नमाज का मुद्दा एक बार फिर गरमाने लगा है। मेरठ पुलिस का एक बयान चर्चा में है-जिसमें कहा गया कि सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के लाइसेंस और पासपोर्ट निरस्त किए जा सकते हैं। उधर, संभल पुलिस ने छत और सड़क, पर नमाज अदा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी जारी की है।
मेरठ और संभल पुलिस अधिकारियों के बयानों पर बहस छिड़ गई है। मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा, ऐसे बयानों की आलोचना कर रहा है तो कुछ लोग दूसरे मुस्लिम समुदाय के अलावा दूसरे धर्मों के कार्यक्रम सड़कों पर आयोजित होने का हवाला देकर शासन-प्रशासन पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं। मेरठ में ये घटनाक्रम ऐसे वक्त में सामने आया है, जब यहां कि जाकिर कॉलोनी में नव-निर्मित पुलिस चौकी में रोजा इफ्तार आयोजित करने वाले चौकी प्रभारी शैलेंद्र प्रताप को लाइन हाजिर कर दिया गया।
दरअसल, चौकी का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें देखा जा सकता है कि दाढ़ी-टोपी वाले कुछ रोजेदार यहां रोजा इफ्तार कर रहे हैं। बताते हैं कि 17 मार्च को जब लोहियानगर थाने की इस चौकी का उद्घाटन हुआ था तो उस दिन विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की गई थी और शाम को इफ्तार पार्टी रखी गई। वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा ने एक दिन पहले ही चौकी प्रभारी शैलेंद्र प्रताप को लाइन हाजिर कर दिया था। चौकी प्रभारी पर कार्रवाई का मुद्दा भी सोशल मीडिया की सुर्खियां बन गई और लोग इस पर अपनी तरह से प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। कुछ लोग शैलेंद्र प्रताप की सराहना कर रहे हैं और अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने कहा कि पिछले साल भी इस पर रोक थी और सड़क पर नमाज पढ़ने वाले करीब 200 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि इस बार भी इस पर रोक है और शांति समिति की बैठकों में इसकी जानकारी दी जा रही है। धर्मगुरुओं और इमामों से अपील की गई है कि लोग मस्जिदों या ईदगाहों में ही नमाज अदा करें-उन्हें इसकी सूचना दी जाए।
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