हल्द्वानी: पितृ पक्ष कल से शुरू,  पूर्वजों की आत्मा को तारण के करें तर्पण 

हल्द्वानी:  पितृ पक्ष कल से शुरू,  पूर्वजों की आत्मा को तारण के करें तर्पण 

हल्द्वानी, अमृत विचार। पितृ पक्ष कल से शुरू हो रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष प्रारंभ होकर अश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि (14 अक्टूबर) को पितृ विसर्जन के साथ समाप्त होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण के लिए तर्पण व श्राद्ध किया जाता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी ने बताया कि नियमानुसार वर्ष की जिस भी तिथि को पूर्वजों का निधन हुआ हो, पितृ पक्ष की उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा को केवल उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ हो। उन्होंने कहा कि पितृ पक्ष में प्रतिदिन गाय को भोजन कराना चाहिए। पूर्णिमा से अमावस्या तक शाम को घी का दीपक दक्षिण मुखी लौ करके जलाएं। भोजन का पहला निवाला कौवे के लिए रखें। तिथि के अनुसार तर्पण व पिंडदान करें तथा ब्रह्मभोज कराएं। तर्पण और श्राद्ध सूर्योदय के बाद व सूर्यास्त से पहले करें।  पितरों के निमित्त जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन व वस्त्र दान करें।

ऐसे शुरू हुआ श्राद्ध कर्म
डॉ. मंजू जोशी ने बताया कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध कर्म की शुरुआत के बारे में बताया था। प्राचीन समय में सबसे पहले महर्षि निमि को अत्रि मुनि ने श्राद्ध का ज्ञान दिया था तब ऋषि निमि ने श्राद्ध किया और उनके बाद अन्य ऋषियों ने भी श्राद्ध कर्म प्रारंभ कर दिया। तभी से पूर्वजों के सम्मान व आत्मा के तारण के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा प्रचलित हो गई।

पितृ पक्ष में न करें ये गलतियां 
1.पितृ पक्ष में प्याज-लहसुन, मांसाहार, नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। तामसिक वस्तुओं के उपभोग से से पितृ नाराज हो जाते हैं। 
2.पितृ पक्ष के दौरान कोई शुभ-मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। कोई जश्न या उत्सव भी नहीं मनाना चाहिए। इस समय सादगीपूर्ण ढंग से जीवन जीकर पितृों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए
3. पितृ पक्ष में कोई भी नया काम नहीं शुरू करें। साथ ही कोई नया कपड़ा, गहना, गाड़ी आदि भी नहीं खरीदें। 
 4. पितृ पक्ष के दौरान नाखून या बाल नहीं कटवाने चाहिए। यदि संभव हो तो दाढ़ी बनवाने से भी परहेज करना चाहिए।