हल्द्वानी: शेरनाले में बहा काश्तकार, 14 घंटे बाद 3 किमी दूर मिली लाश

हल्द्वानी: शेरनाले में बहा काश्तकार, 14 घंटे बाद 3 किमी दूर मिली लाश

हल्द्वानी, अमृत विचार। छोटा हाथी लेकर बुकिंग पर गया काश्तकार शेरनाले के उफान में बह गया। देर रात हुई घटना और बहाव के बीच रात रेस्क्यू नहीं हो सका। कुछ घंटों बाद काश्तकार की तलाश शुरू हुई तो उसका शव करीब 3 किलो मीटर दूर मिला। एसडीआरएफ और पुलिस ने उसका शव झाड़ियों से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सुबह टीम के साथ एसपी सिटी हरबंस सिंह और सीओ लालकुआं भी तलाशी अभियान में जुटी रहीं। 
   

ग्राम पंचायत सीतापुर के त्रिलोकपुर दानी में रहने वाले त्रिलोक सिंह पुत्र शिव सिंह काश्तकार हैं और बुकिंग मिलने पर छोटा हाथी भी चलाते हैं। घर में पत्नी निर्मला, बेटा कृपाल सिंह व मां है। बताया जाता है कि उनके गांव के पास मदनपुर गौलापार निवासी विनोद जोशी पुत्र प्रयागदत्त जोशी ने चोरगलिया में एक बेड बनवाया था, जिसे लाने के लिए उन्होंने त्रिलोक से संपर्क किया था। सोमवार को दोनों छोटा हाथी संख्या यूके 04 सीबी 7380 से चोरगलिया गए थे और रात लौट कर वापस आ रहे थे।

सीतापुर ग्राम पंचायत के प्रधानपति बलवंत आर्या के मुताबिक रात करीब 11 बजे दोनों शेरनाला से गुजर रहे थे। तभी छोटा हाथी नाले में फंस गया। जिसके बाद दोनों पैदल की नाला पार कर दूसरी तरफ आ गए। तभी त्रिलोक को याद आया कि उनका मोबाइल छोटा हाथी में ही रह गया। जिसे लेने के लिए वह फिर पैदल छोटा हाथी तक पहुंच गए, लेकिन तभी नाले में पानी बढ़ गया। त्रिलोक संभल नहीं पाए और बहाव के साथ बह गए।

दूसरी ओर खड़े विनोद जोशी चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए। जिसके बाद उन्होंने आनन-फानन में इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस रात मौके पर तो पहुंची, लेकिन तेज बहाव में वह भी कुछ नहीं कर सकी। बहाव थमने के बाद रेस्क्यू शुरू किया गया, लेकिन रात कुछ पता नहीं लगा। अगली सुबह फिर एसडीआरएफ के साथ रेस्क्यू शुरू किया गया। जिसके बाद करीब 3 किलो मीटर दूर नाले में झाड़ियों में फंसा उनका शव बरामद किया गया। मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया। 


शेरनाले के शोर में नहीं सुनाई दी मौत की घंटी
 त्रिलोक का छोटा हाथी जब नाले में फंसा तो उनका मोबाइल उसी में रह गया। मोबाइल की याद उन्हें तब आई, जब वह नाला पारकर दूसरी तरफ आ गए। मोबाइल लेने के लिए वह छोटा हाथी की ओर बढ़े तो साथी विनोद ने उन्हें रोका भी, लेकिन यह कहते हुए त्रिलोक आगे बढ़ गए कि घरवालों को सूचना दे देता हूं कि वह नाले में फंस गए हैं और आने में देर हो जाएगी। जबकि विनोद के पास भी मोबाइल था और अगर वह चाहते तो विनोद के मोबाइल से ही फोन करके घरवालों को सूचना दे सकते थे, लेकिन शायद होनी को कुछ और ही मंजूर था। शेरनाले में पानी लगातार बढ़ रहा था और पानी के भयावह शोर में त्रिलोक को अपने मोबाइल के आगे मौत की घंटी नहीं सुनाई दी। 


पुलिसिया कवायद के बाद भी चली गई जान

 सोमवार शाम करीब 8 बजे जब मूसलाधार बारिश शुरू हुई तो एसएसपी पंकज भट्ट ने पुलिस को अलर्ट कर दिया। आदेश दिया कि जब बारिश होती है, तब तक चोरगलिया-हल्द्वानी मार्ग को बंद कर दिया जाए। तत्परता दिखाते हुए पुलिस ने गौलापुल और कुंवरपुर चौकी के पास बेरीकेडिंग कर आवागमन रोक दिया, लेकिन शायद चोरगलिया की ओर इस बाद का ध्यान नहीं रखा गया और पुलिस तैनाती के बावजूद वह चोरगलिया थाना पार करते हुए शेरनाले तक पहुंच गए। पुलिस के मुताबिक यह घटना रात 2 बजे के बाद की है, जबकि प्रधानपति बलवंत का कहना है कि उन्हें रात 11 से साढ़े 11 के बीच ही घटना की सूचना मिल गई थी। ये विरोधाभाष पुलिस पर सवाल खड़े करता है।