प्रयागराज : चुनाव याचिका की सुनवाई प्रक्रिया सिविल मुकदमे की तरह ही होनी चाहिए
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि चुनाव याचिका की सुनवाई भी उसी तरह की जानी चाहिए, जैसे किसी सिविल मुकदमे की सुनवाई सिविल कोर्ट द्वारा की जाती है।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 13 (सी) के तहत पंजीकृत चुनाव याचिका में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने के लिए रुकमे आलम द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। विवादित आदेश में वर्ष 2021 में संपन्न ग्राम लालपुर गंगवारी, ब्लॉक- कुंदरकी, तहसील-बिलारी, मुरादाबाद में ग्राम पंचायत के चुनाव में वोटों की पुनर्मतगणना का आदेश दिया गया था।
दरअसल याची और विपक्षी जावेद ने ग्राम पंचायत लालपुर गंगवारी में प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ा था। 26 अप्रैल 2021 को मतदान हुआ, जिसमें गिनती के बाद याची को विपक्षी जावेद से चार वोटों के अंतर से विजयी घोषित किया गया। इसके बाद विपक्षी ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 12 (सी) के तहत एक चुनाव याचिका दाखिल की, जिसमें याची पर आरोप लगाया गया कि उसने धोखे से विपक्षी के पक्ष में डाले गए सात मतों को अवैध घोषित करा दिया। अतः इसके बाद पार्टियों को बयान और जिरह के लिए उपस्थित होने का अवसर प्रदान दिए बिना वोटों की पुनर्गणना का निर्देश दे दिया गया।
सारे तर्कों को सुनने के बाद अंत में कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम (चुनावी विवादों का निपटान) नियम, 1994 के नियम 4 में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान किया गया है कि चुनाव याचिका की सुनवाई इस तरह की जानी चाहिए, जैसे सिविल कोर्ट में सिविल मुकदमों की सुनवाई होती है यानी पक्षों के तर्कों के साथ- साथ गवाहों के बयान, दस्तावेजी साक्ष्य और अन्य मुद्दे तय होने चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि नियम 4 में निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन कर मजिस्ट्रेट ने सीधे वोटों की पुनर्गणना का आदेश पारित कर दिया।
मतपत्र की गोपनीयता बनाए रखना महत्वपूर्ण है जो पवित्र है। इसे निरर्थक,अस्पष्ट और अनिश्चित आरोपों के आधार पर उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही निरीक्षण से पहले एक निर्वाचित सदस्य के खिलाफ लगाए गए आरोपों की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके अलावा मजिस्ट्रेट ने रिकॉर्ड पर पर्याप्त आधार/साक्ष्य के बिना केवल रोविंग जांच के आधार पर पुनर्गणना के अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया है। अतः उक्त आदेश को रद्द करते हुए याचिका स्वीकार कर ली गई।
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