सुप्रीम कोर्ट: निवारक हिरासत पर कानून सख्त हैं, प्रक्रिया का किया जाना चाहिए सख्ती से पालन
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि निवारक हिरासत को लेकर कानून सख्त हैं और ये ऐसे किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाते हैं जिसे बिना मुकदमे के सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है इसलिए निर्धारित प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
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उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति की रिहाई का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की जिसकी हिरासत अधिकारियों द्वारा उसके अभ्यावेदन पर विचार किये बिना दो बार बढ़ा दी गई थी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रकाश चंद्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव की हिरासत को बरकरार रखा गया था।
यादव को झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2002 के तहत ‘असामाजिक तत्व’ घोषित किया गया था। पीठ ने 10 जुलाई को दिये अपने आदेश में कहा कि कानून की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और यादव को झारखंड के साहिबगंज जिले की राजमहल जेल से रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘निवारक हिरासत को लेकर सभी कानून कठोर हैं। वे ऐसे किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाते हैं, जिसे बिना किसी मुकदमे के सलाखों के पीछे रखा जाता है।
ऐसे मामलों में, एक बंदी के पास केवल कानूनी प्रक्रिया ही होती है।’’ झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2002 अधिनियम असामाजिक तत्वों के निर्वासन और हिरासत से संबंधित है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत, राज्य सरकार किसी असामाजिक तत्व को अवांछित गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए उसे हिरासत में ले सकती है।
पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की तीन महीने की अवधि से अधिक हिरासत की अवधि अनधिकृत और अवैध थी। उसने कहा, ‘‘सात नवंबर, 2022 और सात फरवरी, 2023 के आदेश, जिनमें हिरासत की अवधि बढ़ा दी गई थी, को रद्द कर दिया गया है। झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ के दो मार्च, 2023 और एकल न्यायाधीश के दो नवंबर, 2022 के आदेशों को भी खारिज कर दिया गया है।’’
उच्चतम न्यायालय ने झारखंड के अपर महाधिवक्ता अरुणाभ चौधरी की इस दलील से सहमति जताई कि आठ अगस्त, 2022 के प्रारंभिक हिरासत आदेश को चुनौती देने का कोई आधार नहीं है और कहा कि यादव ने केवल बाद के आदेशों को चुनौती दी है, जिनमें हिरासत की अवधि को बढ़ाया गया था।
ये आदेश सात नवंबर, 2022 और सात फरवरी, 2023 को दिए गए थे, जिनमें यादव की हिरासत को क्रमशः तीन और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। यादव को आठ अगस्त, 2022 को साहिबगंज के जिलाधिकारी द्वारा पारित प्रारंभिक हिरासत आदेश की एक प्रति दी गई थी, जब वह राजमहल जेल में न्यायिक हिरासत में था।
आदेश में यादव को हिरासत में लेने के आधारों का उल्लेख किया गया था और उनके खिलाफ 18 लंबित मामलों का विवरण दिया गया था, जो मामूली रूप से चोट पहुंचाने से लेकर जबरन वसूली और हत्या तक के थे। यादव के अनुसार, यह अभ्यावेदन उनकी ओर से एक दिन बाद 19 अगस्त, 2022 को ईमेल और पोस्ट के माध्यम से भेजा गया था और 26 अगस्त, 2022 को राज्य सरकार को प्राप्त हुआ था।
इस बीच, राज्य सरकार ने गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग के माध्यम से 12 अगस्त, 2022 को हिरासत आदेश को मंजूरी दे दी थी। यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने कहा कि सलाहकार बोर्ड ने अधिनियम की धारा 19 के तहत अपना निर्णय लिया। अधिनियम की धारा 19 के अनुसार, हिरासत के तीन सप्ताह के भीतर, सरकार को सलाहकार बोर्ड के समक्ष हिरासत के आधार और प्रभावित व्यक्ति का अभ्यावेदन प्रस्तुत करना होता है।
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