सावन विशेष : शिव कचेहरी में लगती है भोलेनाथ की अदालत, कान पकड़कर उठक-बैठक करते हैं भक्त   

सावन विशेष : शिव कचेहरी में लगती है भोलेनाथ की अदालत, कान पकड़कर उठक-बैठक करते हैं भक्त   

मिथलेश त्रिपाठी/  प्रयागराज, अमृत विचार। संगम नगरी प्रयागराज में भगवान शिव का एक ऐसा अनूठा मंदिर हैं, जहां वो न्यायाधीश के रूप में विराजमान है। यहां वह अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और उनके कर्मों पर फैसला और न्याय करते हैं। भोलेनाथ का ये अनूठा मंदिर शिव कचहरी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में एक - दो नहीं,  कुल 286 शिवलिंग हैं। इनमें एक शिवलिंग मुख्य न्यायाधीश के रूप में हैं तो बाकी दूसरे न्यायाधीश और वकील के रूप में विराजमान हैं। शिव कचहरी मंदिर में भोलेनाथ के भक्त जाने-अनजाने में हुई अपनी भूल- गलतियों की क्षमा याचना और उसका प्रायश्चित करने के लिए आते हैं।  इस शिव कचहरी में कोई चिट्ठी लिखकर अर्जी लगाता है तो कोई शब्दों के ज़रिये तो कोई कान पकड़कर अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करता है। इतना ही नही यहां लोग उठक -बैठक कर माफ़ी मांगते है।
संगमनगरी प्रयागराज में गंगा नदी के तट पर स्थित शिव कचहरी मंदिर का भव्य रूप आपको हैरान कर देगा। इस मंदिर का संबंध नेपाल के राजघराने से भी है।

दरअसल मान्यता है कि शिव कचहरी मंदिर भोलेबाबा की अदालत होती है। यहां वह खुद न्यायाधीश यानी जज के रूप में वो विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ इस अनूठी कचहरी में जज के रूप में ज़रूर रहते हैं, लेकिन वह भगवान हैं और दयालु भी हैं, लिहाजा गलती मान लेने वाले और उसका प्रयाश्चित करने वाले अपने भक्तों को न सिर्फ माफ़ कर देते हैं, बल्कि उन पर अपनी कृपा बरसाते हुए उनका कल्याण करते है। भक्तों के मन मे इन बातो क विश्वास भी है। इसीलिये वह पूरी आस्था के साथ शिव कचहरी मंदिर में अपनी गलतियों की माफी और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।

न्यायाधीश व वकीलों के रूप में मौजूद शिवलिंग बिल्कुल उसी स्वरुप में स्थित हैं, जैसा आमतौर पर अदालतों में देखने को मिलता है। मान्यता यह भी है कि भगवान शिव यहां लोगों को उनके कर्मों के मुताबिक़ पुरस्कार व सज़ा देते हैं। उनसे जुड़े मामलों में अपना फैसला सुनाते हैं और इंसाफ करते हैं। खास बात यह है कि यहां सावन महीने में ख़ास आयोजन होते हैं। पूरे सावन महीने यहां मेला लगता है तो भोलेबाबा के इस सबसे प्रिय महीने में उनके भक्तों की भीड़ से शिव कचहरी गुलजार रहती है। मंदिर में भगवान विष्णु की भी एक मूर्ति रखी हुई है। शिव कचहरी मंदिर के पुजारी पंडित शंभूनाथ दुबे ने बताया कि भगवान शिव यहां निर्णय व न्याय तो करते ही हैं, साथ ही भक्तों को इच्छित फल देते हुए उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करते है। 

प्रचलित है ये मान्यता 
मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ प्रयागराज भरद्वाज मुनि के पास पहुंचे, लेकिन भरद्वाज मुनि ने प्रभु श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगे होने के कारण उन्हें मिलने से मना कर दिया। इस पाप से मुक्ति का उपाय जानने के लिए भरद्वाज मुनि ने उन्हें एक करोड़ शिवलिंग बनाकर पूजा करने को कहा था। उसके बाद प्रभु श्री राम ने फिर अपने सेवक को भेजकर भरद्वाज मुनि से पूछा कि यदि पृथ्वी पर एक करोड़ शिवलिंग में से किसी दिन एक की भी पूजा नहीं हुई तो उसका पाप उससे ज्यादा उन्हें लगेगा, तब भरद्वाज मुनि ने प्रभु श्री राम के पास संदेश भेजा की गंगा तट की रेत का कण कण शिवलिंग के समान है। ऐसे में इसी से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करें, तो प्रभु श्री राम ने यहां शिवलिंग कोटेश्वर मंदिर की स्थापना की और यह कई संख्या में शिवलिंग की स्थापना की थी।

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महादेव मंदिर में गिनती के बाद बढ़ जाते हैं शिवलिंग
प्रयागराज के शिवकुटी इलाके में स्थित 'शिव कचहरी मंदिर' का एक और इतिहास है। इस मंदिर में लगभग 250 से अधिक शिवलिंग स्थापित है। वहीं, दावा किया जाता है कि आज तक इन शिवलिंग की संख्या की सही गणना कोई नहीं कर पाया है। प्रयागराज में वैसे तो कई चमत्कारिक और पौराणिक कथाओं से ओतप्रोत मंदिर स्थापित है, लेकिन शिवकुटी इलाके में स्थित ‘शिव कचहरी मंदिर’ का एक अलग ही इतिहास और मान्यता है। यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व का ऐसा मंदिर है, जहां लगभग 250 से अधिक शिवलिंग स्थापित है। खास बात यह है कि आज तक इन शिवलिंग की संख्या का सही गणना कोई नहीं कर पाया है।

मान्‍यता है कि जब भी कोई भक्त इसे गिनता है, तो उसे हर बार अलग-अलग संख्याओं की प्राप्ति होती है। उदाहरण के तौर पर जैसे राधा देवी ने 245 शिवलिंग की गिनती पूरी की, लेकिन दोबारा गिनती करने पर उसे आंकड़ा 255 पहुंच गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भगवान शिव का चमत्कार है कि आज तक कोई इसे सही नहीं गिन पाया है। मंदिर के पुजारी पंडित रवीश गिरी ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और पौराणिक है।आज भी शिवलिंग की संख्या का मतभेद बरकरार है। कई विद्वानजनो ने भी इसे गिनने और पता लगाने की कोशिश की, लेकिन आंकड़े हर बार अलग-अलग ही सामने आये। 

1865 में राजा राणा ने थी किसकी स्थापना
इलाके के पार्षद कमलेश शुक्ला ने बताया कि शिव कचहरी महादेव मंदिर की स्थापना नेपाल के राजा राणा जनरल पद्म जंग बहादुर ने 1865 में की थी। इस मंदिर में नागेश्वर, चंदेश्वर, सिद्धेश्वर सहित भगवान शिव के प्रत्येक रूप का शिवलिंग स्थापित है। जन कल्याण के लिए पूरे सावन महीने में यहा पर रुद्राभिषेक चलता है। सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की  भीड़ रहती है। कमलेश ने आगे बताया कि भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए कई राज्यों के श्रद्धालु यहां आते हैं। शिव का चमत्कार है कि यहां पर स्थापित ढाई सौ से ज्यादा शिवलिंग को आज तक किसी ने सही संख्या में नहीं गिन पाया है।

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