Kanpur News: साहब! मेरा घर गिरा दो, बारिश में यह हमें मार डालेगा
शहर के जर्जर मकानों को गिराने के लिए नगर निगम में पत्रों की आई बाढ़, मानसून करीब होने से बढ़े आवेदक, हर साल बारिश में दर्जनों मकान गिर जाते हैं

अभिषेक वर्मा, कानपुर/अमृत विचार। शहर में पिछली बारिश में एक दर्जन से ज्यादा जर्जर मकान गिर गए। बेकनगंज के तलाक महल में तो जर्जर बिल्डिंग का अगला हिस्सा गिरने से मलबे में दबकर छह लोग घायल हो गए। महज अगस्त में ही तीन अलग-अलग जगह घटनाएं हुई जिसमें तीन लोगों की मौत भी हुई।
यह हादसे इसबार न हों सके, इसलिए अब लोग खुद ही अपने जर्जर घरों को गिरवानें के लिए अधिकारियों की चौखट पर भटक रहे हैं। नगर निगम में पिछले कुछ दिनों में तो ऐसे पत्रों की बाढ़ सी आ गई है। जिसके जरिए लोग दरख्वास्त कर रहे हैं कि साहब मेरा जर्जर घर गिरा दो, नहीं तो बारिश में बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
नगर निगम के आंकड़ों की माने तो शहर में 429 जर्जर और गिराऊ मकान चिन्हित किए गए हैं, इससे सबसे ज्यादा जर्जर मकान जोन 1 में हैं। जिनकी संख्या 222 है। इन मकानों को खाली करने का नोटिस दिया जा चुका है। इन भवनों में करीब तीन हजार से अधिक लोग रह रहे हैं।
कई जगहों पर तो जर्जर भवनों में ही फैक्ट्री, गोदाम व बड़ी-बड़ी दुकानें तक चल रही हैं। पुराना कानपुर, कर्नलगंज, चमनगंज, बादशाहीनाका, ग्वालटाली, चंद्रनगर, जूही में ऐसी तमाम भवन आज भी खड़ें हैं जहां लोग रह रहे हैं। बरसात आते और मौसम में नमी बढ़ते ही मकानों के गिरने का खतरा मंडराने लगता है। नगर निगम ने ऐसे मकानों को गिराने की योजना तो बनाई है, लेकिन अभियान अभी चला नहीं है।
केस : 1
अब्दुल मोईन बजरिया थानाक्षेत्र में आने वाले खपरा मोहाल बेकनगंज स्थित मकान संख्या 99/144 में रहते हैं। मोईन ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा है कि वह जिस मकान में रहते हैं वह अपनी मियाद पूरी कर चुका है। भवन जर्जर हालत में है जिसकी मरम्मत भी नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि चूंकि मकान घनी आबादी में है जिसके चलते लोग हमेशा गुजरते रहते हैं। बारिश के समय में यह मकान कभी भी धराशयी हो सकता है। जिससे बड़ा हादसा होने की संभावना है। उन्होंने पत्र के माध्यम से यह भी बताया कि जर्जर भवन में कई लोग रहते हैं जिनकी जान जोखिम में है। इसलिए इस जर्जर भवन को जल्द ही गिरा दें। यह पत्र डीएम ऑफिस से नगर निगम कार्रवाई के लिए पहुंचा है।
केस-2
कर्नलगंज थाना क्षेत्र में मकान संख्या 101/341 भी पूरी तरह से जर्ज स्थिति में है। मकान मालिक ने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर कहा कि यह मकान 70-80 पुरना है। जो कच्ची ईंट व चूना, राख मिट्टी से बना हुआ है। उक्त मकान कभी भी गिर सकता है। मकान में बनी अधिकांश छतें गिर रही हैं। मकान में किराएदार नसीर, असगर, मतीन, नन्हे भी किराए पर रहते हैं। जिनकी जान-माल का खतरा हमेशा बना रहता है। उन्होंने पत्र के द्वारा बताया कि इससे पहले मकान का छज्जा गिर चुका है। घनी आबादी की वजह से लोग यहां से गुजरते रहते हैं। जिसकी वजह से बारिश में बड़ा हादसा हो सकता है। यह पत्र भी नगर निगम में कार्रवाई के लिए पहुंचा है।
नगर निगम गिराने का लेता है पैसे
जर्जर मकानों के गिराने के लिए अभी तक नगर निगम में एक दर्जन से ज्यादा प्रार्थना पत्र पहुंचे हैं। जिसमें लोगों ने अपने जर्जर मकान गिराने की दरख्वास्त की है। क्योंकि, नगर निगम भवनों को गिराने का खर्च मकान मालिक से लेता है। इसलिए इसपर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती है। वहीं, एक अन्य कारण भी है जिसकी वजह से ने नगर निगम भवनों पर कार्रवाई नहीं कर पाता है। वो यह कि इन जर्जर मकानों में से अधिकतर मकान ऐसे हैं, जिनका केस कोर्ट में चल रहा है, और फैसले का इंतजार है। जिसकी वजह से नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता है।
यहां पर सबसे ज्यादा गिराऊ मकान
लक्ष्मीपुरवा, लाठीमोहाल, सिरकीमोहाल, नौघड़ा, बांसमंडी, जवाहर नगर, नेहरू नगर, चंद्र नगर, पी रोड, अनवरगंज, बेकनगंज, बंदरिया हाता, लाटूश रोड, चमनगंज, फहीमाबाद, कछियाना, चटाई मोहाल, नयागंज, मनीराम बगिया, टोपी बाजार, मछलीबाजार, हरबंशमोहाल, जूही नहरिया क्षेत्र आदि।
2022 में हुए हादसे
- 24 जुलाई को सुतरखाना में सैकड़ों साल पुरानी बिल्डिंग गिरने से एक दिव्यांग की मौत हुई।
- 6 अगस्त को कलक्टरगंज शक्कर पट्टी में सौ साल पुराना जर्जर मकान अचानक ढह गया।
- 15 अगस्त जूही गढ़ा में जर्जर मकान का छत ढहने से एक की मौत, दो घायल हो गए।
- 3 अगस्त को बड़ा चौराहा स्थित बैंक की दीवार ढहने स दो की मौत, दो घायल हो गए।
- 7 अगस्त रतनलाल नगर में दीप अपार्टमेंट के धंसने के साथ-साथ पिलर पर पड़े दरार।
- नवंबर में अफीमकोठी में जर्जर मकान की गिरने से प्लंबर समेत 2 अन्य घायल।
- 22 दिसंबर को रात में बेकनगंज के तलाक महल में एक मकान का आगे का हिस्सा गिरने से छह लोग घायल हो गये।
जोन जर्जर मकान
जोन-1 222
जोन-2 06
जोन-3 42
जोन-4 120
जोन-5 18
जोन-6 22
कुल 430
गिराऊ और जर्जर भवनों को गिराने के लिए पत्र आते हैं। जिनपर नियमानुसार ही कार्रवाई होती है। कई मामले कोर्ट में हैं, जिसमें नगर निगम दखल नहीं दे सकता - शिवशरणप्पा जीएन, नगर आयुक्त।
यह भी पढ़ें:-बाराबंकी: अज्ञात वाहन की टक्कर से साइकिल सवार की मौत, एक घायल