विदेश घूम रहे हैं? जानिए, मुश्किल में फंसने पर दूतावास आपकी मदद के लिए क्या करेगा और क्या नहीं

विदेश घूम रहे हैं? जानिए, मुश्किल में फंसने पर दूतावास आपकी मदद के लिए क्या करेगा और क्या नहीं

ब्रिसबेन। ऑस्ट्रेलियाई फिर से दुनिया घूमने निकल पड़े हैं। हालांकि, यात्रियों की संख्या कोरोना वायरस महामारी फैलने से पहले की तुलना में अब भी कम है, लेकिन लगभग 11 लाख ऑस्ट्रेलियाई पिछले साल दिसंबर में देश से रवाना हुए। दिसंबर 2019 में इनकी संख्या 13 लाख थी। विदेश मामले एवं व्यापार विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार 2022 में पासपोर्ट आवेदनों ने रिकॉर्ड तोड़ दिए, साल की दूसरी छमाही में हर महीने औसतन ढाई लाख से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए।

 कई लोगों के लिए विदेश यात्रा सुरक्षित और सकारात्मक अनुभवों से भरपूर रहती है, लेकिन कुछ यात्रियों के लिए दुर्भाग्यवश चीजें ठीक नहीं रहतीं। जब मुसीबत आनी होती है, तो किसी भी तरह आ जाती है। किसी का पासपोर्ट खो जाता है तो कोई छोटी-मोटी चोरी का शिकार हो जाता है। किसी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ जाता है तो किसी की गिरफ्तारी भी जाती है। ऐसे मामलों में विदेश मामले एवं व्यापार विभाग (डीएफएटी) की राजनयिक सेवा से मदद की उम्मीद की जाती है। लेकिन जब हम अपने देश से रवाना होते हैं तो हमारी जिम्मेदारियां कहां से शुरू होती हैं और कहां खत्म होती हैं, यह जानना जरूरी है। हमें अपनी सरकार से क्या उम्मीद करनी चाहिए और जोखिमों को कम करने के लिए हम खुद क्या कर सकते हैं? 

दुर्व्यवहार करने वाले यात्री
वर्ष 2000 की शुरुआत में राजनयिक सेवा का प्रमुख होने के नाते, मैं जानता हूं कि विदेश में ऑस्ट्रेलियाई यात्रियों से जुड़े मामलों की कोई सीमा नहीं होती बल्कि भरमार होती है। इनमें कुछ मामले ऐसे होते हैं जो समाचारों की सुर्खियां बन जाते हैं, जैसे हाल में पापुआ न्यू गिनी में एक आपराधिक गिरोह का ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले एक विद्वान का अपहरण किया जाना या तुर्किये और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप का ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों और उनके परिवारों पर प्रभाव। ये ऐसे मामले हैं, जिनमें हमारे राजनयिकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन उनका काम इससे भी कहीं ज्यादा होता है। जून 2021-22 से, हर दिन विदेश में औसतन चार ऑस्ट्रेलियाई मारे गए, जबकि आव्रजन उल्लंघनों से लेकर मादक पदार्थ अपराध, चोरी और धोखाधड़ी तक के मामलों में हर दिन औसतन दो ऑस्ट्रेलियाई गिरफ्तार किए गए। कुल मिलाकर, उस वर्ष मुश्किल में फंसे लगभग 16,000 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने मदद के लिए स्थानीय ऑस्ट्रेलियाई विदेशी मिशन का रुख किया। इनमें कोविड के दौरान विदेश मामले एवं व्यापार विभाग के प्रयासों से वापस ऑस्ट्रेलिया लाए गए लोगों को शामिल नहीं किया गया है।

 बीते तीन साल में ऐसे लोगों की संख्या 62 हजार से अधिक है। ऑस्ट्रेलियाई पासपोर्ट धारक ये भरोसा कर सकते हैं कि इन स्थितियों में राजनयिक सेवा के जरिए उन्हें मदद मिल सकती है। लेकिन हालिया दशकों में यात्रियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कुछ हद तक ऐसा इसलिए हो सकता है कि हम तत्काल प्रतिक्रिया देते हैं और सोशल मीडिया के जरिए हमें तुंरत लोगों की ओर से प्रतिक्रिया मिलती है। एक ओर ज्यादातर ऑस्ट्रेलियाई आत्मनिर्भर यात्री होते हैं, लेकिन अब भी बहुत से लोग ऐसे नहीं हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब भी बहुत से लोग उचित यात्रा बीमा नहीं कराते। कुछ लोग आधिकारिक यात्रा चेतावनियों को दरकिनार कर देते हैं और फिर जब स्थिति खराब हो जाती है तो मदद के लिए सरकार का रुख करते हैं। इन सबसे अलग जब कोई व्यक्ति विदेश में गिरफ्तार हो जाता है, तो उम्मीदें कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती हैं।

 ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ऐसे मामलों में राजनयिक सेवा किस हद तक मदद कर सकती है और उसकी क्या सीमाएं हैं। राजनयिक संबंधों के बारे में वियना कन्वेंशन में इन मामलों में ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक सेवा की वास्तविक सीमाओं का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि राजनयिक सेवा समय-समय पर विदेश में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का हालचाल जानेगी, स्थानीय कानूनी प्रतिनिधित्व के लिए उनका मार्गदर्शन करेगी और उनके मुकदमों की निगरानी करेगी। इसके बारे में बस इतना ही कहा गया है। यह ऑस्ट्रेलिया में कैद विदेशियों पर भी लागू होता है। कभी कभी यह सुनिश्चित होने के बाद कि किसी व्यक्ति के खिलाफ मनमाने ढंग से मामला दर्ज किया गया है या उसके साथ अन्याय हुआ है, तो हमारी सरकार उस व्यक्ति को रिहा करने की मांग करती है। म्यांमा में राजनीतिक कारण से कैद किए गए सिएन टर्नेल के मामले में ऐसा देखा गया, जिसे पिछले साल रिहा कर दिया गया।

 टर्नल के विपरीत विदेश में कैद अधिकतर ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के खिलाफ दर्ज मामलों में जवाब देना होता है। इसलिए सुरक्षित यात्रा के लिए तीन तरीके बताए गए हैं, जिनपर अमल करने से मुश्किल परिस्थिति से बचा जा सकता है। पहला, इसकी सूचना दी जानी चाहिए कि आप कहां जा रहे हैं। यह पता करना ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे जहां जाने की योजना बना रहे हैं, वहां के हालात कैसे हैं। यूक्रेन और दूसरी जगहों पर जारी संघर्ष का यात्रियों पर वैसा ही प्रभाव पड़ा है, जैसा मौसम संबंधी घटना और प्राकृतिक आपदा का पड़ता है। दूसरा, यात्रियों को अपने परिवार के संपर्क में रहना चाहिए। अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमलों और 2002 में बाली में हुए धमाकों के समय मदद करने वाले राजयनिकों में मै भी शामिल था।

 हमने पाया कि कुछ लोगों के परिवारों को यह पता नहीं था कि वे जहां हैं, सुरक्षित हैं या नहीं। तीसरा, एक और काम यात्रियों को करना चाहिए, वह है यात्रा बीमा कराना। कुछ लोगों को लगता है कि बीमा कराने का मतलब उड़ान रद्द होने या व्यक्तिगत सामान चोरी होने की सूरत में खुद को नुकसान से बचाना है। लेकिन यदि आप विदेश में बीमार पड़ गए या घायल हो गए या फिर आपकी मौत हो गई तो बीमा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लिहाजा, कभी भी विदेश यात्रा करते समय अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सरकार या राजयनिकों पर निर्भर न रहें और अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करते हुए यात्रा की योजना बनाएं। इससे आपकी यात्रा भी सुरक्षित होगी और सरकार की चिंताएं भी कम होंगी। 

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