सोनिया गांधी के बयान को केंद्रीय मंत्रियों ने भ्रामक और PM मोदी के प्रति नफरत का उदाहरण बताया

सोनिया गांधी के बयान को केंद्रीय मंत्रियों ने भ्रामक और PM मोदी के प्रति नफरत का उदाहरण बताया

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू और धर्मेंद्र प्रधान ने लोकतंत्र और संस्थानों की स्वतंत्रता पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के अखबार में छपे लेख को लेकर मंगलवार को उन पर निशाना साधा और कहा कि यह उच्च स्तरीय अनैतिकता वाला 'भ्रामक' बयान तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति नफरत का ‘सटीक उदाहरण' है।

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दोनों केंद्रीय मंत्रियों का यह तंज कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर ‘हर शक्ति का दुरुपयोग’ करने संबंधी आरोप लगाए जाने के बाद किया गया। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए अंग्रेजी के प्रमुख अखबार ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित एक लेख में कहा कि उनकी पार्टी संविधान की रक्षा के लिए समान विचार वाले सभी दलों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए यह आरोप भी लगाया कि सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों... विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को व्यवस्थित तरीके से खत्म कर रही है और उसके कदम लोकतंत्र के प्रति 'गहरे तिरस्कार' को दर्शाते हैं। रीजीजू ने ट्विटर पर सोनिया गांधी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘‘श्रीमती सोनिया गांधी लोकतंत्र के बारे में व्याख्यान दे रही हैं? कांग्रेस पार्टी की ओर से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में बात करना उच्च स्तरीय अनैतिकता वाला भ्रामक बयान है।’’

शिक्षा मंत्री प्रधान ने उनकी टिप्पणी को ‘मोदी के प्रति नफरत, गलत प्राथमिकताएं और राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिकता को जरूरत से ज्यादा महत्व दिये जाने का सटीक उदाहरण’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस है जो दोराहे पर खड़ी है, राष्ट्र नहीं। आने वाले दिन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी राजनीतिक संकट के कगार पर है।’’

उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में आरोप लगाया कि राजस्थान से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से कर्नाटक तक कांग्रेस को पहले अपने संगठनात्मक तंत्र तक अपना संदेश पहुंचाना चाहिए जो आंतरिक लोकतंत्र की कमी के साथ-साथ चाटुकारों की मंडली के कारण मुरझा रहा है। प्रधान ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र की परीक्षा नहीं है, बल्कि विशुद्ध रूप से कांग्रेस की परीक्षा है।

कांग्रेस नेतृत्व को अपने भ्रम से बाहर आना चाहिए और जमीनी हकीकत के प्रति जागना चाहिए - भारत का लोकतंत्र फल-फूल रहा है, लोग पीएम मोदी के इरादों को जानते हैं और यही कारण है कि वे उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।’’ कर्नाटक में 10 मई को और राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

सोनिया ने इस लेख में विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए कहा, ‘‘भारत के संविधान और इसके आदर्शो की रक्षा करने के लिए कांग्रेस समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों के साथ हाथ मिलाएगी।’’ उन्होंने कहा ‘‘हमारी लड़ाई लोगों की आवाज की रक्षा करने की है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के तौर पर अपने कर्तव्य को समझती है और समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ।’’

कांग्रेस की शीर्ष नेता के मुताबिक, ‘‘संसद के बीते सत्र के दौरान हमने देखा कि सरकार की रणनीति ने संसद को बाधित किया, विपक्ष को बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक विभाजन जैसे जनता से जुड़े मुद्दे उठाने से रोका तथा बजट, अडाणी घोटाला और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने से रोका।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद की कार्यवाही से भाषणों के अंश हटाने, संसद सदस्यों पर हमला करने और बहुत तेज गति से उन्हें सदस्यता से अयोग्य ठहराने जैसे कई अप्रत्याशित कदम उठाए। उनका इशारा राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने की ओर था।

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