चाट-शिकंजी वाले लाल रंग का कपड़ा क्यों लगाते हैं ? वजह यहां जान लीजिए

नई दिल्ली। क्या आपने कभी गौर फरमाया है कि आखिर चाट-शिकंजी वाले अपने ठेले या दुकान पर लाल रंग का कपड़ा क्यों लगाते हैं, जिससे फूड आइटम को ढका जाता है और ये कपड़ा लाल रंग का ही क्यों होता है ? दरअसल, लाल रंग काफी दूर से नजर आता है। इसके अलावा ये रंग काफी चटकीला और चमकदार होता है, जिस पर लोगों का ध्यान आसानी से चला जाता है। इसी वजह से फूड आइटम के ठेले पर लाल रंग का कपड़ा बांधा जाता है।
इसके अलावा इसे यूं भी समझना जरूरी है कि प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना होता है। इसमें से लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे ज्यादा और आवृत्ति सबसे कम होती है। बता दें कि प्रकाश या रोशनी वेव यानी तरंगों के रूप में काम करती हैं। जिस रंग की आवृ्त्ति जितनी कम और तरंगदैर्ध्य जितनी ज्यादा होगी वो रंग उतना ही तेज और चमकदार होगा। यही वजह है कि लाल रंग काफी दूर से दिखाई देता है और इसलिए ठेले वाले भी लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करते हैं।
वहीं, लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल फूड आइटम की तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए तो किया ही जाता है साथ ही अन्य कई महत्वपूर्ण जगहों पर भी लाल रंग का इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए हर खतरे के निशान को लाल रंग से ही बनाया जाता है। इसकी वजह भी यही है कि ये दूर से लोगों को दिख जाए और वो खतरे के प्रति सतर्क हो सकें।
इतना ही नहीं, लाल रंग के कपड़े बांधने के पीछे एक और प्रथा प्रचलित है। बताया जाता है कि मुगल काल में हुमायूं के शासन में रसोई में दरबारी रिवाज होता था। इसी रिवाज के तहत खाना रखने को बर्तनों को लाल कपड़े से ढका जाता था। हुमायूं के शासन से शुरू हुआ ये रिवाज आगे बढ़ता गया और इसलिए आज भी लोग खाने के बर्तनों को लाल कपड़े से ढककर रखते हैं।
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