अयोध्या: दिनों-दिन घटता जा रहा बसों का बेड़ा, तेजी से हो रही रिटायर, नई मिल रही नाममात्र

अयोध्या: दिनों-दिन घटता जा रहा बसों का बेड़ा, तेजी से हो रही रिटायर, नई मिल रही नाममात्र

अयोध्या, अमृत विचार। एक ओर रामनगरी अयोध्या वैश्विक पर्यटन नगरी का आकार ले रही है वहीं पर्यटकों व श्रद्धालुओं को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने वाली परिवहन निगम के बसों का बेड़ा घटता जा रहा है। काफी दिनों से बड़ी खेप की खरीद न होने के चलते बेड़े में शामिल रोडवेज बसें तेजी से रिटायर हो रही हैं और मिल रही हैं तो नाममात्र की।

 हाल यह है कि अभी चंद दिनों पूर्व राजधानी सेवा के तहत अयोध्या डिपो को छह नई बसों की सौगात मिली है तो इससे ज्यादा आठ बसों को होली के बाद बेड़े से अलग करने का प्रस्ताव है। सड़क मार्ग पर परिवहन के लिहाज से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को सबसे बड़ी सार्वजनिक संस्था माना जाता है। 

अयोध्या डिपो से निगम की सरकारी बसों के अलावा अनुबंध पर लोकल रूटों तक बसों का संचालन किया जाता है। सरकारी बसों का बेड़ा लंबी दूरी के राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रियों को परिवहन सुविधा उपलब्ध कराता है तो अनुबंधित बसें जनपद समेत आस पास के जनपदों के मुख्यालयों तथा कस्बों को जोड़ती हैं। 

महकमे से जुड़े लोगों की मानें तो बीते कुछ माह में ही अयोध्या डिपो की बेड़े में शामिल दो दर्जन से ज्यादा रोडवेज की बसों को उनकी अधिवर्षिता आयु पूरी होने के चलते रिटायर किया जा चुका है। वहीं कई वर्षों से परिवहन निगम में थोक बसों की खरीद नहीं हुई है, जिसके चलते डिपों के बसों का बेड़ा बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है। 

वर्तमान में डिपों से 88 सरकारी बसों तथा 24 अनुबंधित बसों का संचालन हो रहा है। सरकारी बसों में अभी चंद दिन पूर्व ही राजधानी सेवा की 2 व सामान्य की 4 बसें भी हैं, जिनमें 4 का संचालन प्रदेश की राजधानी लखनऊ और 2 का देश की राजधानी दिल्ली के लिए किया जा रहा है। वहीं परिवहन निगम मुख्यालय को  अयोध्या डिपो की 8 और सरकारी बसों की नीलामी की संस्तुति के लिए पत्र भेजा गया है। होली बाद स्वीकृति आते ही इनको भी सरेंडर किया जाएगा। 


अनुबंधित बसों के बेड़े का हाल भी ऐसा ही 
परिवहन निगम मुख्यालय ने अपने बेड़े में सरकारी बसों की कमी होने के चलते अनुबंधित बसों का बेड़ा बढ़ाने का निर्णय लिया था। प्राइवेट बस संचालकों को रोडवेज से जोड़ने के लिए पुरानी अनुबंधन पॉलिसी में संशोधन कर नई पॉलिसी में कई रियायतें भी दी गई, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं निकल सका।

नई पॉलिसी लागू होने के बाद अब तक केवल 6 बसों का ही अनुबंध हुआ है और 2 का लगभग फाइनल है। जिनमें से कुछ ऐसी हैं, जिन्होंने अपनी बसें पुरानी नीति से निकालकर नई नीति में शामिल कराया है। वर्तमान में 24 प्राइवेट बसों का अनुबंध के तहत संचालन हो रहा है और इनकी तादात बढ़ाने के लिए निगम मुख्यालय प्राइवेट बस संचालकों को और रियायत देने की योजना बनाने की कवायद में जुटा है। 

प्रभारी सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विवेकानंद तिवारी का कहना है कि पुरानी सरकारी बसों को बेड़े से पृथक करने का कार्य चरणबद्ध ढंग से किया जा रहा है। अभी हाल में मुख्यालय से 6 नई बसें मिली हैं। जिनमें 2 राजधानी सेवा व 4 सामान्य सेवा की हैं। अभी और बसें मिलनी हैं। उनका कहना है कि बेड़े की 8 और बसों की नीलामी के लिए प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा गया है।

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