बरेली: जहां चल रहा था गर्भपात का क्रूर खेल... वहां सरकारी सिस्टम के भी तार

जांच में महिलाओं ने की आशा वर्कर के कहने पर शाही के लक्ष्य क्लिनिक आने की पुष्टि, कहा- प्रसव के लिए आए थे, बिना डिग्री चलाया जा रहा था क्लिनिक, मिले थे गर्भपात करने के उपकरण और दवाएं

बरेली: जहां चल रहा था गर्भपात का क्रूर खेल... वहां सरकारी सिस्टम के भी तार

बरेली, अमृत विचार : शाही के लक्ष्य आई क्लिनिक जहां गर्भपात का क्रूर और गैरकानूनी धंधा चलने के प्रमाण मिले थे, अब वहां से सरकारी सिस्टम की सबसे प्राथमिक कड़ी के जुड़ने की भी पुष्टि हुई है। जांच के दौरान कुछ महिलाओं ने पुष्टि की है कि वे अपने इलाके की आशा वर्कर के कहने पर लक्ष्य क्लिनिक आई थीं। हालांकि उन्होंने यहां प्रसव कराया था, गर्भपात नहीं।

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शाही के लक्ष्य आई क्लिनिक पर फतेहगंज पश्चिमी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी ने छापा मारा था। इस दौरान यहां गर्भपात के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण और दवाएं बरामद हुई थीं। छानबीन में पता चला था कि आई क्लिनिक की आड़ में अवैध गर्भपात और प्रसव का धंधा किया जा रहा था, हालांकि क्लिनिक चलाने वालों के पास न कोई डिग्री थी न रजिस्ट्रेशन।

स्वास्थ्य विभाग ने यहां मिले दस्तावेजों को जब्त कर क्लिनिक को सील कर राजलक्ष्मी और ओमकार समेत दो लोगों के खिलाफ थाना शाही में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में जांच कर रहे फतेहगंज पश्चिमी के एमओआईसी डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि क्लिनिक पर मिले दस्तावेजों में से एक एक रजिस्टर में 60 महिलाओं के नाम और पतों के साथ उनकी अन्य निजी जानकारी दर्ज है।

इसका कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर यानी सीएचओ को टीम से सत्यापन कराया जा रहा है। डॉ. संचित के मुताबिक रजिस्टर में 15 महिलाओं के मोबाइल नंबर भी मिले हैं। इनमें पांच के मोबाइल तो स्विच ऑफ मिले। दो ने बताया कि वे यहां प्रसव कराने आई थीं। उन्हें आशा वर्कर ने यहां आने की सलाह दी थी। कुछ महिलाएं निजी संपर्क की सलाह पर प्रसव कराने आई थीं। इनमें से किसी ने भी गर्भपात कराने की पुष्टि नहीं की है।

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए विभाग की प्रारंभिक कड़ी हैं आशा वर्कर: आशा वर्कर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य विभाग में सबसे प्रारंभिक कड़ी के तौर पर काम करती हैं। तमाम और जिम्मेदारियों के साथ गर्भवती महिलाओं के पोषण और उन्हें सुरक्षित प्रसव के लिए सरकारी केंद्रों पर लाना उनकी सबसे प्रमुख जिम्मेदारी होती है।

हालांकि अब तक कई ऐसे मामले उजागर हो चुके हैं, जब कमीशन के लिए आशा वर्करों के निजी अस्पतालों के लिए काम करने की पुष्टि हुई है। सरकारी अस्पतालों में भर्ती महिलाओं को भी निजी अस्पतालों में ले जाने के आरोप लगते रहे हैं।

लक्ष्य क्लिनिक से मिले दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। रजिस्टर में कुछ महिलाओं की जानकारी दर्ज थी, संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि किसी को आशा कार्यकर्ता ने यहां भेजा था तो कोई निजी संपर्क के माध्यम से आया था। गर्भपात कराने की बात किसी ने नहीं कही। हालांकि लगातार जांच की जा रही है।- डॉ. संचित शर्मा, एमओआईसी सीएचसी फतेहगंज पश्चिमी

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