हल्द्वानी: मंत्री उनियाल बोले वन पंचायतों का अस्तित्व बचाने को जन-जंगल दोनों जरूरी

हल्द्वानी: मंत्री उनियाल बोले वन पंचायतों का अस्तित्व बचाने को जन-जंगल दोनों जरूरी

हल्द्वानी, अमृत विचार। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रस्तावित उत्तराखंड पंचायती नियमावली-2022 और वन पंचायत से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर आयुक्त और जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। 

वन मंत्री उनियाल ने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बैठक की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 2.5 लाख लोग वन पंचायतों से जुड़े हुए हैं, वन पंचायतें ही उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत हैं। जंगल, वन पंचायतों में रहने वाले लोगों की प्रगति के लिए वन पंचायतों का सुदृढ़ होना जरूरी है ताकि दोनों का अस्तित्व बना रहे। वन मंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि 45 दिन के भीतर वन पंचायतों की संख्या, क्षेत्रफल के आंकड़ों को सही किया जाए ताकि वन पंचायत निर्देशिका का समय पर प्रकाशन किया जा सके।

उन्होंने कहा कि वन पंचायतों के अभिलेखों को अद्यावधिक कर जिला भू अभिलेखगार में जमा किया जा रहा है। जल्द ही वन पंचायतों के सीमा का डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। इसके साथ ही कुमाऊं आयुक्त को माह में दो बार समीक्षा बैठक करने को कहा ताकि प्रस्तावित उत्तराखंड वन पंचायत नियमावली-2022 समय से जनता को समर्पित की जा सके। 

 इस मौके पर आयुक्त दीपक रावत ने बताया कि वन पंचायत पोर्टल के माध्यम से जनता को जागृत किया जा रहा है। जनपद नैनीताल में 2122, चंपावत में 584, पिथौरागढ़ में 1596, बागेश्वर में 824 व अल्मोड़ा में 495 वन पंचायतें हैं। उन्होंने बताया कि कुमाऊं में पंचायती वनों में सुधार को हितभागियों का क्षमता विकास, जहां-जहां छोटी वन पंचायतें एक ही राजस्व ग्राम या ग्राम पंचायत के दायरे में हैं, वहां पर स्थानीय जनता की सहमति से राजस्व विभाग टुकड़ा मिलान का भी कार्य कर रहा है। 

जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि जनपद नैनीताल में 120 वन पंचायतों के अभिलेख को अद्यावधिक कर अभिलेखगार में जमा कर दिए गए हैं। एक सप्ताह के भीतर 399 वन पंचायतों के अभिलेख भी जमा कर दिए जाएंगे।