बरेली: डूबते सूर्य की उपासना कर महिलाओं ने की सौभाग्य की कामना
बरेली, अमृत विचार। छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतियों ने शाम को छठ घाटों पर पहुंचकर डूबते सूर्य को नमन कर पहला अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने अर्घ्य देने के साथ ही छठ मैया से विश्व कल्याण और परिवार के सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर स्थित श्री शिवशक्ति मंदिर स्थित, इज्जत नगर रेलवे कॉलोनी, धोपेश्वर …
बरेली, अमृत विचार। छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतियों ने शाम को छठ घाटों पर पहुंचकर डूबते सूर्य को नमन कर पहला अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने अर्घ्य देने के साथ ही छठ मैया से विश्व कल्याण और परिवार के सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर स्थित श्री शिवशक्ति मंदिर स्थित, इज्जत नगर रेलवे कॉलोनी, धोपेश्वर नाथ मंदिर आदि सहित शहर में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालु मैया के गीत गाते हुए पहुंचीं। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगा।
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व्रतियों ने तीसरे दिन रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना की। व्रती महिलाएं दिनभर छठ मैया की आराधना में डूबी रहीं। वहीं घर के अन्य सदस्यों ने शाम की पूजा के लिए दिनभर खरीदारी की। शाम होते ही श्रद्धालु परिजनों के साथ पूजा की सामग्री लेकर छठ घाटों पर पहुंचे। यहां पहले से चिह्नित बेदी पर पूजा का सामान रखकर महिलाओं ने पूजापाठ शुरू किया। इसके बाद पूजा की सामग्रियों को बांस के सूप और डलिया में रखकर सूर्य को अर्घ्य के लिए प्रसाद सूप में रखकर दीपक जलाया।
इसके बाद महिलाएं गंगाजल युक्त घाट के जल में खड़ी होकर सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। छठ पूजा के लिए कच्चे बांस से बनी टोकरियों का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि बांस से बनी सूप व डलिया शुद्ध होता है। इसमें मुख्य रूप से चावल, दीपक, सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी, शकरकंदी, दूध, फल, शहद, पान, नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन के अलावा ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल के लड्डू आदि सामान रखते हैं। महिलाओं ने पूजा करके अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना की।
गूंजते रहे छठ मैया के गीत
रविवार को सुबह से हो रही तैयारियों के बीच समाज के लोग सिर पर बांस की टोकरी रखकर छठ मैया के गीत गाते हुए छठ घाटों की ओर बढ़े। इस दौरान श्रद्धालु कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए’, ‘झिमिक बोलेली छठी मईया’ आदि छठ गीत गाते हुए आगे बढ़ रहे थे। लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और ढोल-तासों की गूंज के साथ ही छठ मइया के जयकारे लगाए।
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