चित्रकूट: शरदोत्सव का दूसरे दिन नृत्य में दिखी लोक संस्कृति की झलक

चित्रकूट। भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती अवसर पर चित्रकूट में सांस्कृतिक संध्या शरदोत्सव के कार्यक्रमों में दूसरे दिन लोक संस्कृति की छाप नजर आई। देर रात तक लोग मंत्रमुग्ध होकर बैठे रहे। सांस्कृतिक शाम की शुरुआत वन सिंह भाई चामायडा़, भाई राठवा एवं उनके साथियों के गुजरात के राठवा जनजाति के लोकनृत्य की शानदार …
चित्रकूट। भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती अवसर पर चित्रकूट में सांस्कृतिक संध्या शरदोत्सव के कार्यक्रमों में दूसरे दिन लोक संस्कृति की छाप नजर आई। देर रात तक लोग मंत्रमुग्ध होकर बैठे रहे। सांस्कृतिक शाम की शुरुआत वन सिंह भाई चामायडा़, भाई राठवा एवं उनके साथियों के गुजरात के राठवा जनजाति के लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति से हुआ।
गौरतलब है कि यह नृत्य होली में लगातार पांच दिन तक किया जाता है। इसमें बांसुरी, हरनाई -शहनाई, ढोलक, थाली घुघुरा, पट्टा, तूतूड़ी-कुंडी आदि की संगत नृत्य को और लुभावना बना देती है। पुरुष नर्तकों को घेर व महिला नर्तकियों को घेरनी कहा जाता है। यह उत्सव का त्यौहार देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
वहीं दूसरी प्रस्तुति ओडिशा की रोजलिन सुंदराय एवं साथियों द्वारा शिव शक्ति पर आधारित नृत्य रही। इसमें शिव स्तुति, नवदुर्गा स्तुति एवं शिवपंचाक्षर की प्रस्तुति की गई। सागर के प्रसिद्ध भजन गायक ऋषि विश्वकर्मा ने भक्ति गीतों से वातावरण को भक्तिमय बनाया। जरा हल्के गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले, जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको, मेरे राम गाड़ी वाले… की प्रस्तुति से लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
यह भी पढ़ें:-शो झलक दिखला जा 10 में पहुंचे Kili Paul, चने के खेत में… गाने पर माधुरी के साथ जमकर लगाए ठुमके