जब भारत आज़ाद हुआ था

जब भारत आज़ाद हुआ था आजादी का राज हुआ था वीरों ने क़ुरबानी दी थी| तब भारत आज़ाद हुआ था भगत सिंह ने फांसी ली थी इंदिरा का जनाज़ा उठा था इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी तब खून की आँधी बहती थी वतन का ज़ज्बा ऐसा था जो सबसे लड़ता जा रहा था लड़ते …
जब भारत आज़ाद हुआ था
आजादी का राज हुआ था
वीरों ने क़ुरबानी दी थी|
तब भारत आज़ाद हुआ था
भगत सिंह ने फांसी ली थी
इंदिरा का जनाज़ा उठा था
इस मिटटी की खुशबू ऐसी थी
तब खून की आँधी बहती थी
वतन का ज़ज्बा ऐसा था
जो सबसे लड़ता जा रहा था
लड़ते लड़ते जाने गयी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था
फिरंगियों ने ये वतन छोड़ा था
इस देश के रिश्तों को तोडा था
फिर भारत दो भागो में बाटा था
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था
दूसरा पाकिस्तान कहलाया था
सरहद नाम की रेखा खींची थी
जिसे कोई पार ना कर पाया था
ना जाने कितनी माये रोइ थी,
ना जाने कितने बच्चे भूके सोए थे,
हम सब ने साथ रहकर
एक ऐसा समय भी काटा था
विरो ने क़ुरबानी दी थी
तब भारत आज़ाद हुआ था