डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के प्रमोशन पर लगा ग्रहण, इस वजह से बिना प्रोफेसर बने रिटायर हो सकते हैं शिक्षक

लखनऊ। राजधानी सहित प्रदेश भर के डिग्री कॉलेजों के शिक्षक भले ही प्रमोशन के पात्र हो चुके हैं। लेकिन लचर सिस्टम के कारण ऐसे शिक्षक बिना प्रोफेसर का तमगा लिए रिटायर हो जायेंगे। शिक्षकों का कहना है कि लगभग 20 से 30 वर्ष कार्यकाल बीत जाने बाद भी वह प्रोफेसर बनने को मोहताज हैं। वहीं …
लखनऊ। राजधानी सहित प्रदेश भर के डिग्री कॉलेजों के शिक्षक भले ही प्रमोशन के पात्र हो चुके हैं। लेकिन लचर सिस्टम के कारण ऐसे शिक्षक बिना प्रोफेसर का तमगा लिए रिटायर हो जायेंगे। शिक्षकों का कहना है कि लगभग 20 से 30 वर्ष कार्यकाल बीत जाने बाद भी वह प्रोफेसर बनने को मोहताज हैं। वहीं जूनियर शिक्षक लगातार प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत किए जा रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने सरकार से यूजीसी के रेगुलेशन 2018 को ही लागू किया जाए। लुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय और महामन्त्री डॉ. अंशु केडिया ने डिग्री शिक्षकों के प्रोन्नति में विसंगतियों के निवारण की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन 1 नवम्बर 2021 को लागू शासनादेश में राजकीय/अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षको को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति किये जाने के प्रावधान हैं। लेकिन प्रोफेसर पद प्रोन्नति के लिए अर्हता शासनादेश लागू होने से पहले की मांग ली गई है। लिहाजा 20 से 30 वर्ष की सेवा कर चुके शिक्षकों के पास 110 एपीआई और 10 रिसर्च पेपर की अर्हता पूरी नहीं हो रही है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री देते रहे आश्वासन
संगठन के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि लुआक्टा शासनादेश की विसंगति को दूर करने के लिए कई वर्ष से संघर्ष कर रही है। राज्यपाल और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री प्रो. दिनेश शर्मा के समक्ष समस्या रखी गई थी, लेकिन वह पूरे कार्यकाल के दौरान सिर्फ आश्वासन देते रहे।
यूजीसी के रेगुलेशन 2018 लागू करने की जरूरत
डॉ. मनोज ने कहा कि प्रोफेसर पद की प्रोन्नति में विसंगतियों को दूर करना आवश्यक है। शासनादेश निर्गत होने की तिथि को कट ऑफ डेट 28 मई 2015 निर्धारित करते हुए उक्त तिथि तक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत शिक्षको को तीन वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर प्रोफेसर पद पर प्रोन्नत करने के निर्देश शासन जारी करे। या फिर यूजीसी के रेगुलेशन-2018 को लागू करे।
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