लखनऊ: अब नसों की बीमारी से ग्रसित मरीजों को मिलेगा फायदा… जानें कैसे

लखनऊ । चिकित्सा जगत में एसजीपीजीआई ने अहम योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश में इससे बेहतर कोई भी दूसरा चिकित्सा संस्थान नहीं है,एसजीपीजीआई का पूरे देश में नाम है। यह कहना है प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का। बुधवार को उप मुख्यमंत्री ने यह जानकारी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट व न्यूरो फिजियोलॉजी लैब के लोकार्पण …
लखनऊ । चिकित्सा जगत में एसजीपीजीआई ने अहम योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश में इससे बेहतर कोई भी दूसरा चिकित्सा संस्थान नहीं है,एसजीपीजीआई का पूरे देश में नाम है। यह कहना है प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का। बुधवार को उप मुख्यमंत्री ने यह जानकारी पीएसए ऑक्सीजन प्लांट व न्यूरो फिजियोलॉजी लैब के लोकार्पण अवसर पर कहीं।
वह इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मरीजों को भर्ती होने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े,इसके लिए वेड की संख्या व मानस संसाधन की कमी को जल्द ही पूरा किया जायेगा। इसके साथ ही एसजीपीजीआई संस्थान प्रशासन द्वारा की गयी अन्य मांगों पर सहमति बन चुकी है,जल्द ही उसकों भी पूरा करने का कार्य किया जायेगा।
क्लीनिकल न्यूरोफिजियोलॉजिकल लैब में मस्तिस्क, मेरुदण्ड नसों तथा मासपेशियों की बीमारियो से ग्रसित मरीजों की जाँच करने के लिए कई प्रकार की मशीने मौजूद होती हैं, इस लैब में मिर्गी की बीमारी से ग्रसित मरीजों का जांच तथा इलाज के लिए ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफ) का इस्तेमाल किया जाता है।
ईईजी के जरिए दिमाग से उत्पन्न बिजली कि तरंगों का विशलेषण कर के मिर्गी के प्रकार का पता किया जाता है। 15 से 20 प्रतिशत मिर्गी के मरीज जो कि दवा से ठीक नही हो पाते उनके लिए शल्य चिकित्सा में भी ईईजी की अहम भूमिका होती है। इसके अलावा नसों से संबंधित मरीजों के लिए मशीन द्वारा रोगी के नसों में विघुत प्रवाह के माध्यम से बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
इसी प्रकार मांसपेसियों से उत्पन्न होने वाले सूक्षम विद्युत तरंगों की जांच के लिए भी विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है । इसके अलावा सर दर्द के मरीजों को बिना दवा के ठीक किया जाता है। मस्तिस्क की धमनियों में खून के प्रवाह में रूकावट के लिये भी ट्रांसक्रानियल डॉपलर का उपयोग भी क्लीनिकल न्यूरोफिजियोलॉजिकल लैब में किया जाता है।
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