अयोध्या: अवैध नियुक्तियां करने के खेल में गई अवध विवि के कुलपति की कुर्सी

अमृत विचार/अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति पर आखिरकार गाज गिर ही गई। लगभग डेढ़ सौ अवैध नियुक्तियों, दीपोत्सव के नाम पर वसूली जैसी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त को देखते हुए प्रोफेसर रविशंकर सिंह को मंगलवार की रात ही राजभवन तलब कर इस्तीफा ले लिया गया। प्रदेश की राज्यपाल व विश्वविद्यालय की कुलाधिपति …
अमृत विचार/अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति पर आखिरकार गाज गिर ही गई। लगभग डेढ़ सौ अवैध नियुक्तियों, दीपोत्सव के नाम पर वसूली जैसी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त को देखते हुए प्रोफेसर रविशंकर सिंह को मंगलवार की रात ही राजभवन तलब कर इस्तीफा ले लिया गया।
प्रदेश की राज्यपाल व विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने प्रयागराज स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह को अवध विश्वविद्यालय का अतिरिक्त कुलपति का कार्यभार नियमित नियुक्ति होने तक के लिए सौंप दिया है। बुधवार की सुबह विश्वविद्यालय के कौटिल्य प्रशासनिक भवन के सभागार में नवागत कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। निवर्तमान कुलपति रविशंकर सिंह ने प्रो. अखिलेश को कार्यभार सौंप दिया है।
प्रो. रविशंकर सिंह ने न केवल पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के कार्यकाल की तमाम योजनाओं पर पानी फेर दिया है बल्कि नियुक्तियों में अपनों को जमकर रेवड़ी बांटी है। भारत और दक्षिण कोरिया के मध्य हुए एक समझौते को भी कुलपति और उनके ओएसडी ने जानबूझकर खत्म कर दिया। रविशंकर पर काफी दिनों से गंभीर आरोप लग रहे थे कि उन्होंने विश्वविद्यालय में कई फर्जी नियुक्तियां कराईं।
साकेत महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जनमेजय तिवारी, अयोध्या भाजपा जिला मीडिया प्रभारी डाक्टर रजनीश सिंह ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री भारत सरकार को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। इन लोगों का कहना है कि विश्वविद्यालय में की गई नियुक्तियों के इस प्रकरण में विज्ञापन से लेकर चयन तक की संपूर्ण प्रक्रिया विसंगतिपूर्ण, मनमानी, स्वच्छंद और विभेदकारी रही है।
जिसने मेरिट के सामान्य सिद्धांत को दरकिनार कर भ्रष्टाचार को प्रश्रय दिया है। इन नियुक्तियों पर रोक लगाते हुए संपूर्ण चयन-प्रक्रिया की न्यायिक जांच करवाकर दोष सिद्ध पाये जाने पर सम्बन्धित को दण्डित करते हुए न्याय की की मांग की गई है।
प्रो. रविशंकर सिंह के कार्यकाल में ये खेल तो बानगी भर हैं
- पर्यावरण विज्ञान विभाग में 799 अंक के एपीआई धारक डॉ अनूप सिंह व 473 अंक एपीआई प्राप्त करने वाली संगीता यादव का चयन न करके वरीयता-क्रम में सबसे नीचे 152 अंक एपीआई वाली अभ्यर्थी डॉक्टर महिमा चौरसिया का चयन किया गया है।
- डॉ. शैलेन्द्र सिंह पटेल को विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह अपने साथ वाराणसी से कार्यभार-ग्रहण के समय लेकर आये थे और इंजीनियरिंग विभाग में संविदा की नौकरी देकर उन्हें अपना ओएसडी बना लिया था।
- आवासीय परिसर के खेलकूद प्रभारी मुकेश वर्मा की पत्नी को नौकरी देने के लिए भी खेल किया गया। प्रौढ़ व सतत शिक्षा विभाग में उन्हें दूसरे नंबर पर रखा गया। मुकेश वर्मा की पत्नी विनोदनी से जब राज्यपाल के ओएसडी पंकज ने विभाग का नाम पूछा तो वो बता ही नहीं पाईं। मुकेश वर्मा संविदा पर शिक्षक हैं अब उनकी पत्नी नियमित शिक्षक हो गई हैं।
- एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्त डॉक्टर महिमा चौरसिया, डॉ अवध नारायण व डॉक्टर प्रद्युम्न नारायण द्विवेदी द्वारा पूर्व में की गई सेवाएं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 2018 की धारा 10.2 के तहत जोड़ने के योग्य नहीं थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने नियमों के विपरीत जाते हुए उनकी पूर्व की सेवाओं को जोड़कर उन्हें अनुचित ढंग से एसोसिएट प्रोफेसर पद प्रदान करने का कार्य किया है।
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