महत्वपूर्ण यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा पर जाएंगे। प्रधानमंत्री की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन पर आक्रमण के चलते रूस के खिलाफ अधिकांश यूरोप एकजुट है और इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दौरे से पहले प्रधानमंत्री ने रविवार को कहा …
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा पर जाएंगे। प्रधानमंत्री की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन पर आक्रमण के चलते रूस के खिलाफ अधिकांश यूरोप एकजुट है और इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
दौरे से पहले प्रधानमंत्री ने रविवार को कहा कि उनका इरादा भारत के यूरोपीय साझेदारों के साथ सहयोग की भावना को मजबूत करने का है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा महत्वपूर्ण है, क्योंकि तेजी से बदलती जटिल दुनिया में हमें सहयोग हेतु रास्तों की पहचान करने की आवश्यकता है।
सहयोग के रास्तों पर ध्यान केंद्रित करके ही अनावश्यक संघर्षों से बचा जाता है। गौरतलब है कि भारतीय मूल के दस लाख से अधिक लोग यूरोप में रहते हैं। जर्मनी में बड़ी संख्या में प्रवासी रहते हैं। जर्मनी और भारत के बहुत सारे साझा मूल्य हैं और वैश्विक मामलों पर दोनों का एक संगत दृष्टिकोण है।
वे कई क्षेत्रों में, प्राकृतिक साझेदार हैं। इस दौरे में नरेंद्र मोदी फ्रांस और जर्मनी के साथ अहम रणनीतिक बातचीत करेंगे। हालांकि सभी पक्षों की नजर इस बात पर होगी कि रूस को लेकर भारत का रूख क्या रहता है। क्योंकि जर्मनी और फ्रांस दोनों ही रूस पर बेहद सख्त हैं जबकि भारत ने अब तक यूक्रेन के मुद्दे पर रूस का विरोध नहीं किया है।
माना जा रहा है मोदी इस यात्रा के दौरान युद्ध समाप्त कराने को लेकर अहम चर्चा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री डेनमार्क में दूसरे भारत-नॉर्डिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में सभी पांच नॉर्डिक देशों स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड और आइसलैंड के नेता शामिल होंगे। ये देश स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के अगुआ माने जाते हैं जिसमें भारत की खासी दिलचस्पी है।
पिछले साल अक्टूबर में डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडेरिकसेन ने भारत का दौरा किया था। भारत और डेनमार्क के मजबूत कारोबारी एवं निवेश संबंध हैं। भारत में डेनमार्क की 200 से अधिक कंपनियां मौजूद हैं, जबकि डेनमार्क में 60 से अधिक भारतीय कंपनियां हैं।
दोनों देशों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, जल एवं कचरा प्रबंधन, कृषि एवं पशुपालन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण, स्मार्ट सिटी, पोत क्षेत्रों में मजबूत सहयोग है। वैश्विक व्यवस्था के लिए समान दृष्टिकोण और मूल्यों को साझा करने वाले देशों को एक दूसरे के साथ सहयोग से काम करना चाहिए।
आशा की जा सकती है कि प्रधानमंत्री की यात्रा भविष्य के लिए इन देशों के साथ के स्वाभाविक, सामरिक, रणनीतिक साझेदारी सशक्त करने और हमारी प्राथमिकताओं की पहचान करने में मददगार होगी।