बढ़ता खतरा

कोरोना की चौथी लहर की आशंका के बीच पूरे देश में एक बार फिर संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने लगी है। पिछले कुछ महीनों में मामलों में कमी आई थी, जिसके मद्देनजर कई राज्यों ने कोरोना गाइडलाइंस को हटा दिया था। पिछले दो-तीन दिन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल और …
कोरोना की चौथी लहर की आशंका के बीच पूरे देश में एक बार फिर संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने लगी है। पिछले कुछ महीनों में मामलों में कमी आई थी, जिसके मद्देनजर कई राज्यों ने कोरोना गाइडलाइंस को हटा दिया था। पिछले दो-तीन दिन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा, केरल और महाराष्ट्र में भी संक्रमण के मामले बढ़े हैं। इस बीच, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुए एक सीरो सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक 30 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी खत्म हो चुकी है।
जबकि 46 प्रतिशत लोगों में खत्म होने की कगार पर और सात फीसदी में बहुत कम एंटीबॉडी बची है। सीरो सर्वे के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर 70 फीसदी से अधिक लोगों के अंदर एंटीबाडी खत्म हो जाती है तो कोरोना के आंकड़े बढ़ सकते हैं जो कि चिंता की बात है। हालांकि संक्रमण के मामले बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि यह कोई लहर ही हो लेकिन संक्रमण के मामले जिस तरीके से बढ़ रहे हैं, इसे लहर का एक संकेत माना जा सकता है।
देश में पिछले 24 घंटों के दौरान करीब 2,541 नये मामले सामने आए हैं।
इस दौरान 30 लोगों की मृत्यु के बाद मृतकों का आंकड़ा पांच लाख 22 हजार 223 पहुंच गया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर एक हजार के पार आए हैं वहीं महाराष्ट्रं में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में घरों में पृथकवास वाले कोविड रोगियों की संख्या में छह गुना से अधिक वृद्धि हुई है और आधिकारिक आंकड़े के अनुसार 11 अप्रैल को जहां ऐसे रोगियों की संख्या 447 थी, 24 अप्रैल को बढ़कर 2,812 हो गई।
इस अवधि में अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों की संख्या भी 17 से बढ़कर 80 हो गई है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के अध्यक्ष के. श्रीनाथ रेड्डी का कहना है कि अभी घबराने जैसी स्थिति नहीं है। फिलहाल प्रयास करना चाहिए कि संक्रमण को हम और फैलने न दें। पहली लहर के समय दुनिया इस वायरस के स्वभाव से अंजान थी।
उस समय जो आवश्यक था वह केंद्र व राज्य सरकारों ने किया। लेकिन दूसरी लहर थी, वह हमारे लिए सीखने का मौका था। काफी नुकसान हुआ। हालांकि, इससे हमने सीखा और सुधार किया। टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया। अब भी यही स्थिति है कि हमें गलतियां नहीं दोहरानी हैं। हमें और सुधार करना है। ध्यान रखना चाहिए कि लापरवाही के साथ गलतियां नहीं दोहराएंगे तो कोरोना के खिलाफ जंग जीत जाएंगे।