उन्नाव: डीजल के भाव ने बदला किसानों का मिजाज, मक्का से मुंह फेरकर दलहनी फसलों की तरफ किया रुख

उन्नाव। तापमान के साथ साथ डीजल के भाव भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सिंचाई पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए किसान अब फसल चक्र बदलने का मन बना चुके हैं। यही वजह है कि क्षेत्र के किसान मक्का से किनारा कर दलहनी फसलों पर जोर दे रहे हैं। …
उन्नाव। तापमान के साथ साथ डीजल के भाव भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सिंचाई पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए किसान अब फसल चक्र बदलने का मन बना चुके हैं। यही वजह है कि क्षेत्र के किसान मक्का से किनारा कर दलहनी फसलों पर जोर दे रहे हैं। जिसकी बानगी उनके खेतों में नजर आ रही है।
क्षेत्र के किसान अभी तक पक्की और कच्ची आलू की फसल की खुदाई के बाद जायद की फसल में परम्परागत तौर पर मक्का की खेती करते आए हैं। जिसकी प्रमुख वजह यह है कि मुर्गी दाने में मक्का का उपयोग होने के कारण किसानों को इसके अच्छे दाम मिल जाते थें।
इन दिनों डीजल की बढ़ती कीमतों ने किसानों को भी सोंचने पर विवस कर दिया है। आलम यह है कि एक बीघा फसल की सिंचाई पर करीब 600 रुपए का डीजल खर्च आ रहा है। भीषण गर्मी और धूप के चलते फसल की सिंचाई करीब 6 से 8 बार करना होगा। सिचांई की लागत बढ़ने से किसानों ने इस बार मक्का की फसल बोने से तौबा कर लिया है। अब किसान मक्का के स्थान पर उड़द और मूंग की दलहनी फसलों की खेती करने का मन बना लिया है। कारण यह है कि दलहनी फसलें मात्र दो सिंचाई में ही तैयार हो जाती है।
चरी भी है कम लागत में फायदे का सौदा
वहीं बांगरमऊ में डीजल की बढ़ी किमतों के चलते फसल चक्र परिवर्तन में कुछ किसान चरी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। किसानों का मानना है कि चरी बोने के मात्र एक माह बाद इसकी कटाई शुरू हो जाती है। पशुपालक के इसे हरे चारे के रूप में खरीदना शुरू कर के साथ ही कमाई शुरू हो जाती है। मामूली लागत में 10 बिस्वा में बाई गयी चरी से करीब 20 हजार रुपए का मुनाफा हो सकता है।
कम सिंचाई की मूंग, उड़द व मूंगफली फसलें करें किसान
वहीं बांगरमऊ के ही राजकीय कृषि बीज भंडार प्रभारी आलोक सिंह ने बताया कि उड़द और मूंग का बीज उनके भंडार में तो उपलब्ध नहीं है लेकिन उड़द की शेखर- 2 और कामद- 2 तथा मूंग की कामद-9 किस्मे जिला मुख्यालय के स्टोर पर मिल सकती है। इसके अलावा चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के सेल पॉइंट पर भी दलहनी फसलों का उन्नत बीज मिल रहा है। उन्होंने बढ़ते तापमान के मद्देनजर किसानों से कम सिंचाई की मूंग उड़द और मूंगफली की फसलें करने की सलाह दी है।
क्या बोले किसान
उड़द और मूंग की फसल में केवल दो सिंचाई और मामूली उर्वरक का छिड़काव करना है। जिससे एक बीघा फसल तैयार होने में मात्र डेढ़ हजार रुपए खर्च करना है। फसल तैयार होने पर करीब 4000 से 6000 रुपए प्रति कुंतल आमदनी मिल जाती है ।
किसान कमलेश कुमार त्रिवेदी, कमलापुर
40 से 45 डिग्री तापमान बना रहा, तो जरा सी लापरवाही में ही मक्का की फसल सूख कर बर्बाद हो सकती है। इसलिए इस बार खेत में मूंगफली और पिपरमिंट की फसल बोई है। इन दोनों फसलों में लागत काफी कम है और मुनाफा ज्यादा है। मात्र दो-तीन सिंचाई में ही दोनों फसलें तैयार हो जाएंगी –
किसान सुभाष चंद्र, हूसेपुर
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