बरेली: किडनी ट्रांसप्लांट से डायलिसिस की तकलीफों से आजादी

बरेली, अमृत विचार। एसआरएमएस मेडिकल कालेज ने नयी उपलब्धि हासिल की। विशेषज्ञ टीम ने उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जनपद के बाजपुर निवासी ओमप्रकाश (42 वर्ष) का सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर उन्हें हफ्ते में तीन बार डायलिसिस की दिक्कतों से आजादी दिलाई। यह जानकारी कालेज के निदेशक आदित्य मूर्ति ने दी। मेडिकल कालेज में गुरुवार को …
बरेली, अमृत विचार। एसआरएमएस मेडिकल कालेज ने नयी उपलब्धि हासिल की। विशेषज्ञ टीम ने उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जनपद के बाजपुर निवासी ओमप्रकाश (42 वर्ष) का सफल किडनी ट्रांसप्लांट कर उन्हें हफ्ते में तीन बार डायलिसिस की दिक्कतों से आजादी दिलाई। यह जानकारी कालेज के निदेशक आदित्य मूर्ति ने दी। मेडिकल कालेज में गुरुवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लखनऊ या दिल्ली जाने और परेशान होने की जरूरत नहीं है।
एसआरएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी आपरेशन थिएटर, आईसीयू, रेडियोलाजी, पैथोलाजी, ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। ट्रांसप्लांट फिजीशियन डा.संजय कुमार ने कहा कि रेगुलर डायलिसिस के बाद क्रोनिक फाइव स्टेज में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। एक वर्ष के अंदर किडनी ट्रांसप्लांट होने पर सरवाइवल रेट 95 फीसद होता है। पांच वर्ष बाद ट्रांसप्लांट पर सरवाइवल रेट कम होकर 85 फीसद रह जाता है।
पांच वर्ष डायलिसिस के साथ सरवाइवल रेट रिर्फ 40 से 50 फीसद रह जाता है। किडनी ट्रांसप्लांट मरीज की डायलिसिस संबंधी दिक्कतों को दूर जिंदगी भी बढ़ाता है। ट्रांसप्लांट फिजीशियन डा. विद्यानंद झा ने कहा कि डायलिसिस की जटिलताएं जिंदगी प्रभावित करती हैं। नियमित समयबद्ध डायलिसिस होते रहने से व्यक्ति की दिनचर्या बंध जाती है।
डायलिसिस होने पर महिलाओं की गर्भधारण की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हो जाती हैं। ट्रांसप्लांट सर्जन डा. महेश त्रिपाठी ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट में किडनी को निकाला नहीं जाता, जबकि उसके पास की आपरेशन कर डोनेट की हुई किडनी लगा दी जाती है। इसमें किडनी का मरीज तो महत्वपूर्ण है ही, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण किडनी देने वाला होता है।
हमने रुहेलखंड रीजन का पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया है। इसमें काशीपुर निवासी एक बहन ने अपने भाई के लिए किडनी डोनेट की है। एसआरएमएस में हम कम कीमत पर किडनी ट्रांसप्लांट कर सभी तरह के गुर्दा रोगों का गुणवत्तापूर्ण उपचार कर रहे हैं। ट्रांसप्लांट सर्जन डा.रेहान फरीद ने कहा कि डायलिसिस के मरीज बढ़ रहे हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट से ज्यादातर मरीजों की दिक्कतें कम की जा सकती हैं। ट्रांसप्लांट ऐनेस्थेटिस्ट डा.विश्वदीप सिंह और डा.अलंकृता अग्रवाल किडनी ट्रांसप्लांट में एनेस्थेशिया की भूमिका पर चर्चा की। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा.आरपी सिंह ने सभी का आभार जताया।
एक साल से डायलिसिस करा रहे थे ओमप्रकाश
दो वर्ष पहले बाजपुर के ओमप्रकाश सैनी (42 वर्ष) हादसे का शिकार हुए। बाइक से जाते समय नीलगाय आने से वह घायल हो गए थे। अल्ट्रासाउंड में दोनों किडनी डैमेज होने की जानकारी मिली। डाक्टरों के कहने पर ओमप्रकाश ने मुरादाबाद और दिल्ली में नेफ्रोलोजी विशेषज्ञों को दिखाया। बढ़ रही दिक्कतों से एक वर्ष पहले डायलिसिस शुरू हुई। हफ्ते में दो बार डायलिसिस कराना पड़ता था।
उन्हें एसआरएमएस में भर्ती कराया। किडनी की स्थिति ज्यादा खराब होने से हफ्ते में तीन डायलिसिस जरूरी हो गईं। यहां भी किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई। बुजुर्ग पिता ने किडनी देनी चाही लेकिन उम्र की वजह से ऐसा संभव नहीं था। इस पर छोटी बहन सुमन (34 वर्ष) ने किडनी डोनेट करने की हामी भरी।
सुमन के फैसले पर उनके पति और बच्चों ने भी ऐतराज नहीं जताया। उनकी जांचें हुईं। रिपोर्ट मैच होने पर किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी हुई। 27 मार्च को दोनों को भर्ती किया गया। डा.संजय कुमार के नेतृत्व में किडनी ट्रांसप्लांट टीम ने सहयोगी विशेषज्ञों की मदद से 30 मार्च को आपरेशन किया।
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