हल्द्वानी: यूपीआई ट्रांजेक्शन चार साल में हुआ दोगुना

बबीता पटवाल, अमृत विचार, हल्द्वानी। यूपीआई ने देश में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ा दिया है। इससे डिजिटल लेन-देन में आसानी हुई है। इसके चलते बीते चार साल में वैल्यू के हिसाब से रिटेल डिजिटल पेमेंट में यूपीआई की हिस्सेदारी दोगुनी से ज्यादा हो गई है। लेकिन, बैंक को एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों की भी इनकम …
बबीता पटवाल, अमृत विचार, हल्द्वानी। यूपीआई ने देश में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ा दिया है। इससे डिजिटल लेन-देन में आसानी हुई है। इसके चलते बीते चार साल में वैल्यू के हिसाब से रिटेल डिजिटल पेमेंट में यूपीआई की हिस्सेदारी दोगुनी से ज्यादा हो गई है। लेकिन, बैंक को एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों की भी इनकम करीब एक तिहाई घट गई है। इन्हें यूपीआई ट्रांजेक्शन से आय नहीं हो रही है।
बता दें कि निशुल्क और आसान सर्विस के चलते यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यूपीआई का इस्तेमाल साल दर साल तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2021-22 से पहले 9 महीनों में ही पर्सन टू मर्चेंट पेमेंट में यूपीआई की हिस्सेदारी 42 फीसदी हो गई है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 28 फीसदी थी। स्थिति यह है कि वैल्यू के हिसाब से फरवरी में करीब 80 फीसदी रिटेल डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए हुआ। आइएमपीएस नेफ्ट (नेशनल इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर) जैसे तरीकों से लेन-देन इसमें शामिल नहीं है। बैंक के अधिकारियों के मुताबिक यूपीआई ट्रांजेक्शन बढ़ने से बैंकों की फी इनकम घटी है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में एक्सिस बैंक की कुल इनकम में रिटेल कार्ड फी के तौर पर होने वाली आय घटकर 1.9 फीसदी रह गई जो चार साल पहले 2.5 फीसदी थी। अन्य बैंकों की भी मोटे तौर पर यही स्थिति है। उन्होंने बताया कि पेमेंट प्रोसेसिंग बिजनेस में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच यूपीआई के माध्यम से ट्रांजेक्शन बढ़ने से पूरे इकोसिस्टम में पेमेंट फी के तौर पर होने वाली आय लगातार घटती जा रही है।
2019 से निशुल्क हुई यूपीआई ट्रांजेक्शंस
सरकार ने 2019 के यूपीआई ट्रांजेक्शन के मामले में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शून्य कर दिया था, ताकि देश में डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा दिया जा सके। इससे पहले प्रत्येक डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए मर्चेंट्स को पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को एमडीआर चुकाना होता था।
एमडीआर पेमेंट पूल में बैंकों की हिस्सेदारी बढ़ी नुकसान भी ज्यादा
एमबीए पेमेंट पूल में बैंकों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है, क्योंकि ज्यादातर कार्ड बैंक ही जारी करते हैं। बैंक कार्ड आधारित पेमेंट और अन्य डिजिटल ट्रांजेक्शंस के लिए तो मर्चेंट से शुल्क वसूल सकते हैं। लेकिन, यूपीआई पेमेंट के लिए शुल्क नहीं ले सकते।
यूपीआई से लेनदेन चार साल में 38 फीसदी से बढ़कर 81 फीसदी हुआ
ट्रांजेक्शन मोड 2018-19 19-20 20-21 21-22
यूपीआई 38% 56% 73% 81%
डेबिट कार्ड 26% 19% 12% 07%
क्रेडिट कार्ड 26% 19% 11% 09%
प्रीपेड इंस्टूमेंट्स 09% 06% 04% 03%
यूपीआई ट्रांजैक्शन की वजह से प्रत्येक वर्ष बैंक को लाखों-करोड़ों का घाटा हो रहा है। प्रत्येक बैंक में तय शुल्क के हिसाब से नुकसान हो रहा है। लेकिन इसका कोई प्रावधान नहीं है। – बीके चौधरी, लीड बैंक प्रबंधक