बेहतरीन अवसर

बेहतरीन अवसर

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। प्रस्ताव में मांग की गई थी कि मानवीय संकट को देखते हुए महिलाओं और बच्चों समेत कमजोर परिस्थितियों में रह रहे नागरिकों को पूरी तरह से संरक्षित किया जाए। रूस को केवल अपने सहयोगी चीन का समर्थन मिला, जबकि भारत सहित 13 अन्य …

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। प्रस्ताव में मांग की गई थी कि मानवीय संकट को देखते हुए महिलाओं और बच्चों समेत कमजोर परिस्थितियों में रह रहे नागरिकों को पूरी तरह से संरक्षित किया जाए। रूस को केवल अपने सहयोगी चीन का समर्थन मिला, जबकि भारत सहित 13 अन्य परिषद सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

इसे रूस की एक बड़ी विफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन और दो दर्जन अन्य देशों द्वारा तैयार किए गए एक प्रस्ताव पर विचार करना शुरू किया। करीब 100 देशों द्वारा सह-प्रायोजित किए गए प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बढ़ती मानवीय आपात स्थिति के लिए रूस की आक्रामकता जिम्मेदार है।

उधर नाटो शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने गठबंधन से यूक्रेन को रूसी हमले का मुकाबला करने के लिए जरूरी हथियार उपलब्ध कराने सहित ‘प्रभावी और अप्रतिबंधित’ समर्थन प्रदान करने का आह्वान किया। जबकि युद्ध रोक पाने में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की नाकामी सबके सामने आ गई है।

यूक्रेन में रूस बेहद परंपरागत तरीके की लड़ाई लड़ रहा है। जबकि बुनियादी रूप से यह युद्ध गैरवाजिब था क्योंकि आज भी यूक्रेन कह रहा है कि उसके नाटो में शामिल होने की कोई संभावना नहीं है और रूस भी जता रहा है कि यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन का उसका कोई इरादा नहीं है। ध्यान रहे फिलहाल सैन्य टकराव मुख्य रूप से यूरोप के आंतरिक सुरक्षा दायरों में है, लेकिन इससे भू-राजनीति पर गंभीर असर होना तय है।

युद्ध के जारी रहने या शायद आगे चलकर विस्तृत रूप लेने से करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की सारी उम्मीदें समाप्त हो जाएंगी। साथ ही जलवायु परिवर्तन की रोकथाम से जुड़े उपायों पर अमल की गुंजाइश भी कमजोर पड़ जाएगी। इस पूरे प्रकरण से चीन के हौसले बढ़ेंगे। चीन के साथ सीमा विवाद में उलझे भारत के लिए हालात बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।

भारत अब तक गुटनिरपेक्षता की नीति पर अमल करता रहा है। अब किसी भी तरह का कदम उठाने के लिए समय तेजी से बीतता जा रहा है। विकास के रास्ते पर अपना सफर जारी रखने के लिए भारत को पुतिन और बाइडेन को शांति स्थापना के लिए रज़ामंद करने की जीतोड़ कोशिश करनी चाहिए। युद्ध की इस आपदा में भारत के पास ये साबित करने का बेहतरीन अवसर है कि उनकी आवाज़ वाकई मायने रखती है।