मुरादाबाद : रंग-अबीर से भगवान को किया नमन, रोशनी से अल्लाह की इबादत

मुरादाबाद : रंग-अबीर से भगवान को किया नमन, रोशनी से अल्लाह की इबादत

मुरादाबाद/अमृत विचार। शुक्रवार, कहने को तो एक दिन है लेकिन अलग-अलग समुदाय के लोगों के लिए इसका विशेष महत्व है। हिन्दू समुदाय के लोग जहां इस दिन मां संतोषी की पूजा करते हैं तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग इसे जुमा कहते हैं। यह ऐसा मौका होता है जब दोनों समुदाय के लोग अपने-अपने धार्मिक …

मुरादाबाद/अमृत विचार। शुक्रवार, कहने को तो एक दिन है लेकिन अलग-अलग समुदाय के लोगों के लिए इसका विशेष महत्व है। हिन्दू समुदाय के लोग जहां इस दिन मां संतोषी की पूजा करते हैं तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग इसे जुमा कहते हैं। यह ऐसा मौका होता है जब दोनों समुदाय के लोग अपने-अपने धार्मिक स्थल जाकर पूजा-अर्चना करने के साथ ही इबादत करते हैं।

शायद इतिहास में यह पहली बार है कि इस बार बीता शुक्रवार का दिन पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के लिए विशेष के साथ ही चुनौती भरा हो गया हो। जिसकी वजह थी कि इस बार शुक्रवार यानि कि जुमा के साथ होली का खास पर्व और शब-ए-बारात सब एक साथ थे। अधिकारियों के मन में उमड़ती तमाम विचिलताओं के बाद भी सभी पर्व मनाए गए और वो भी हषोल्लास और प्रेम के साथ। यह पहली बार था कि सुबह रंग-अबीर के साथ भगवान को नमन किया गया तो शाम को रोशनी के साथ अल्लाह की इबादत की गई।

शुक्रवार को होली व शबे बरात को लेकर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी काफी बेचैनी में थे। सुरक्षा को लेकर तमाम कवायद की गई थी, इसकी वजह भी लाजिमी थी। हर किसी को डर था कि कहीं यह दोनों पर्व जिले की कानून व्यवस्था पर भारी न पड़ जाएं। एक तरफ रंगों का त्योहार था तो दूसरी तरफ अल्लाह की इबादत का दिन था। इस डर के बीच जब अगली सुबह आई तो अधिकारी काफी रिलैक्स नजर आए, जिसकी वजह थी कि दोनों समुदाय के लोगों ने मिलकर जिले की किताबों में एक इतिहास रच दिया। एक ऐसा सच जो आने वालों सालों के लिए एक नजीर बन गया, आने वाले अधिकारी शायद इसी नजीर को सामने रखकर त्योहार मनाने की अपील करेगे। दिन में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपसी सौहार्द के लिए जुमे की नमाज का वक्त बढ़ा दिया तो शाम को हिन्दू समुदाय के लोगों ने इबादत के लिए डीजे बंद कर दिया।

नमन और इबादत हुई एक साथ, अधिकारी रिलेक्स
शुक्रवार को दिन निकलने के साथ ही होली का पर्व शुरू हो गया। रंग-अबीर के साथ होलियारों की टोली गली मोहल्लों में हुड़दंग करती नजर आई। बच्चों के साथ ही बूढ़े-बुजुर्ग भी इस जश्न में शामिल होने से नहीं चूके। शाम को चार बजे के बाद होलियार नहीं बल्कि इबादत करने वाले लोग सड़कों पर नजर आए। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कब्रिस्तान जाकर चिरागा किया। अपनों को याद करने के साथ ही उन्होंने मस्जिदों में जाकर पूरी रात अल्लाह की इबादत की। सभी पर्व शांति पूर्वक निपटने के बाद अधिकारी भी रिलेक्स नजर आए।

आपसी सौहार्द के बाद यह दोनों पर्व मनाए गए, बिना विवाद के यह पर्व आपसी भाई चारे के प्रतीक है। हमें सभी धर्म के लोगों के त्योहारों का सम्मान करना चाहिए।-महंत सज्जन गिरी, काली माता मंदिर

अल्लाह की दुआ से और आपसी भाईचारे से दोनों पर्व हषोल्लास के साथ संपन्न हो गए। आगे भी त्योहारों में हमें इसी भाई चारे और सौहार्द को अपनाकर एक नजीर पेश करनी होगी।-सैय्यद मुफ्ती फहद अली, नायब शहर इमाम