नारी छू रही आसमां

दिल में इसके प्यार, बदन में श्रृंगार है समेट के सब कुछ नारी ने पकड़ी रफ़्तार है। रफ़्तार है यह विकास की जो संवारेगी फ्यूचर हमेशा परिवार के बारे में सोचना रहा है इसका नेचर यह दुर्गा, यह है लक्ष्मी है , यह अब सरस्वती का स्वरुप बनी जरूरत में पति के लिए छांव तो …
दिल में इसके प्यार, बदन में श्रृंगार है
समेट के सब कुछ नारी ने पकड़ी रफ़्तार है।
रफ़्तार है यह विकास की जो संवारेगी फ्यूचर
हमेशा परिवार के बारे में सोचना रहा है इसका नेचर
यह दुर्गा, यह है लक्ष्मी है , यह अब सरस्वती का स्वरुप बनी
जरूरत में पति के लिए छांव तो कभी यह धूप बनी
कोमल इसकी काया है पर दिल में साहस अपार भरा
इसकी जिद्द ने मनवा दिया पुरुषों से अपना लोहा
तो अब ना रहेगी नारी किसी से मैदान में पीछे
ठोकी है ताल, अब जो बरसों से शिखर पे लाएगी नीचे
नारी के विकास से जुड़ा समाज और संसार का विकास
बढाकर नारी को आगे देश को रोशन करने का प्रयास
नारी अब तू विकास की मिसाल है इस संसार में
बस उलझ के ना रहना तु अपने घर संसार में
- लोकेश इंदौरा