लोकेश इंदौरा
साहित्य 

नारी छू रही आसमां

नारी छू रही आसमां दिल में इसके प्यार, बदन में श्रृंगार है समेट के सब कुछ नारी ने पकड़ी रफ़्तार है। रफ़्तार है यह विकास की जो संवारेगी फ्यूचर हमेशा परिवार के बारे में सोचना रहा है इसका नेचर यह दुर्गा, यह है लक्ष्मी है , यह अब सरस्वती का स्वरुप बनी जरूरत में पति के लिए छांव तो …
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