महाविध्वंश और जनहानि

ऐसा लग रहा है कि रुसी राष्ट्रपति पुतिन बिना किसी निर्णायक अंत के युद्ध को रोकने वाले नहीं हैं। भारतीय विज्ञान कथाकारों में इस स्थिति को लेकर चिन्ता व्याप्त है। विज्ञान कथाकारों ने संभावित युद्ध के अनेक परिदृश्य उकेरे हैं। जिनमें ऐसी स्थिति जैसी कि अब है भयानक अंजाम का रुख करने वाली है। अनिर्णय …
ऐसा लग रहा है कि रुसी राष्ट्रपति पुतिन बिना किसी निर्णायक अंत के युद्ध को रोकने वाले नहीं हैं। भारतीय विज्ञान कथाकारों में इस स्थिति को लेकर चिन्ता व्याप्त है। विज्ञान कथाकारों ने संभावित युद्ध के अनेक परिदृश्य उकेरे हैं। जिनमें ऐसी स्थिति जैसी कि अब है भयानक अंजाम का रुख करने वाली है।
अनिर्णय या जिच (स्टेलमेट) की स्थिति जब कायम होती है तो वह बिना कोई बड़ा कदम उठाये नहीं टूटती। तो क्या परमाणुवीय हथियार के प्रयोग की संभावना बन रही है? तृतीय विश्वयुद्ध में परमाणु बम के प्रयोग की संभावना अधिक है।
माना तो ऐसा ही जाता है कि परमाणु बम के इस्तेमाल के बाद युद्ध तत्काल खत्म हो जाता है।
क्योंकि हुए महाविनाश से सभी कदम ठिठक से जाते हैं। मगर तीसरे विश्वयुद्ध में एक ही नहीं शत्रु देशों के बीच कई परमाणु बम चल सकते हैं। वे फिजन, फ्यूजन या न्यूट्रॉन बम, कोई एक या उनके काम्बिनेशन हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में जो महाविध्वंस और जनहानि होगी उसकी कल्पना मात्र से सिहरन होती है।
और यदि न्यूक्स (न्यूक्लियर वेपन) नहीं भी चले तो तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत आईसीबीएम (इंटर कांटीनेन्टल बैलिस्टिक मिसाईल्स) कर देंगी। चाहे वे धरती के पूर्वी छोर से चलें या फिर पश्चिमी छोर से। दोनों ओर नाभिकीय अस्त्रों के जखीरे हैं जो इस्तेमाल की बाट लम्बे समय से जोह रहे हैं। ये आईसीबीएम उत्तरी ध्रुव के आकाश में ऊंची और ऊंची उठती जायेंगी और वहां से नीचे आने के ठीक पहले एमआईआरवी (मल्टीपल इन्डेपेन्डेन्टली रिटार्गेटबल वेहिकिल्स) का प्रक्षेपण करेंगी जो मिसाईल की तरह लक्ष्य का संधान करेंगी।
भीषण तबाही का मंजर होगा। हलांकि एबीएम (ऐन्टी बैलिस्टिक मिसाइल) उनकी राह में कम से कम मिलिट्री स्थापनाओं तक पहुंचने में रोड़ा डालेंगी मगर दुबारा तिबारा आईसीबीएम या एस आर ए यम (शार्ट रेंज अटैक मिसाईल) के प्रहार पर ये कामयाब नहीं होंगी। इन आयुधों को बाम्बर (युद्धक हवाई यान) या फिर एसएलबीएम (सबमैराईन-लांच्ड बैलिस्टिक मिसाईल) के जरिये लक्ष्य पर दागा जा सकता है।
यह एक मैड (म्युचुअल एश्योर्ड डिस्ट्रक्शन) परिस्थिति होगी जो नाभिकीय युद्ध से अभी तक डराती रही है।
विज्ञान कथाकारों ने काफी पहले ही एक ऐसे मंजर का तसव्वुर कर लिया था और उनके पूर्वानुमान के अनुसार पश्चिमी देशों और यूरेशिआई तथा एशियाई देशों की आधी आबादी खत्म हो जायेगी।
शेष जो बचेंगे उनमें भी नब्बे फीसदी विकिरणों से पीड़ित होंगे या सीधे घायल होंगे। ऐसे परिदृश्य का पूर्वानुमान करके भारतीय विज्ञान कथाकार दोनों महाशक्तियों रुस और अमेरिका से अपील करते हैं कि तत्काल युद्ध विराम किया जाय। अमेरिका आग में घी न डाले और रुस भी तत्काल युद्ध रोके और कूटनीतिक पहल करे। बातचीत से किसी हल पर उभय पक्ष पहुंचें। यही मानवता के हित में है।