शाहजहांपुर: खंडहर में तब्दील हो चुकीं संस्कृत पाठशालाएं, कैसे गूंजें मंत्र

शाहजहांपुर, अमृत विचार। विद्यालय खंडहर, पढ़ने को छात्र नहीं और पढ़ाने को शिक्षक नहीं। यह हाल है जनपद के संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों का। ऊपर से माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों को वे सुविधाएं देने का निर्णय लिया है, जो माध्यमिक कालेजों में छात्रों को मिलती हैं। यानि कि संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले …
शाहजहांपुर, अमृत विचार। विद्यालय खंडहर, पढ़ने को छात्र नहीं और पढ़ाने को शिक्षक नहीं। यह हाल है जनपद के संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों का। ऊपर से माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों को वे सुविधाएं देने का निर्णय लिया है, जो माध्यमिक कालेजों में छात्रों को मिलती हैं। यानि कि संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा आठ तक छात्रों को मिडडे-मील, यूनीफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे, बैग भी दिया जाएगा और छात्रवृत्ति से भी लाभान्वित होंगे इन पाठशालाओं के छात्र।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जो विद्यालय खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, उनका नवनिर्माण कौन और कैसे कराएगा। अपने जनपद की बात करें तो जैसा की पहले बताया जा चुका है कि छह में पांच विद्यालय बहुत पहले ही शिक्षकविहीन हो चुके हैं और एक विद्यालय के इकलौते बचे गुरूजी इसी माह के अंतिम दिन यानि 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। एक और खासबात यह भी है कि संस्कृत विद्यालयों में छात्र संख्या भी नगण्य ही है।
यहां एक बार फिर बताते चलें कि जनपद में माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से संचालित कुल छह कालेज हैं, जिनमें दो कालेज नगर क्षेत्र यानि शहरी एरिया में हैं। अब इन्हें हैं लिखा जाए या फिर थे लिखा जा ये थोड़ी असमंजस वाली बात है। ये विद्यालय श्री अनंत विज्ञान मठाश्रित श्रीशक्ति विद्यालय शीतलापीठ मिश्रीपुर और श्री शिवशंकर संस्कृत माध्यमिक विद्यालय दलेलगंज में कथित रूप से स्थित हैं। कथित रूप से इसलिए कि दोनों विद्यालय खंडहर का रूप ले चुके हैं।
शीतलापीठ विद्यालय 31 अक्तूबर 1929 को स्वामी अनंताश्रम ने कराई थी। इसी नाम का पत्थर वहां लगा हुआ दिख रहा है। शिव शंकर विद्यालय शिक्षाविद तारा पाठक ने कई दशक पूर्व कराया था। शिव शंकर विद्यालय दलेलगंज का भवन इतना जर्जर है कि अब वहां कक्षाएं लगने लायक कुछ भी नहीं दिखाई देता है।
आसपास के लोग बताते हैं कि स्कूल भवन देर शाम से देर रात तक स्मैकिया और अन्य नशेड़ियों का अड्डा बना रहता है। इसके जर्जर होने का सबूत खबर के साथ प्रकाशित फोटो से अंदाजा लगाया जा सकता है, जबकि शीतलापीठ विद्यालय में भवन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है, सिर्फ खंडहर से पता चलता है कि यहां कभी देववाणी के मंत्र गूंजा करते थे। फिलहाल दोनों संस्कृत पाठशालाओं में एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं रह गया है, जो नियुक्त थे, वे सभी रिटायर हो चुके हैं।
वैसे तो सरकार ने माध्यमिक कालेजों के सौंदर्यीकरण, जीर्णोद्धार, भवन निर्माण आदि के लिए मिशन अलंकार योजना चला रखी है, लेकिन इस योजना का लाभ तभी है, जब कालेज की प्रबंध समिति आगे आए। यानि संबंधित काम के लिए जितना पैसा प्रबंध समिति लगाएगी, उतना ही पैसा सरकार दे देगी। अर्थात 50-50 प्रतिशत खर्च दोनों ओर से किया जाएगा, लेकिन जिन कालेजों की बात की जा रही है, वहां फिलहाल प्रबंध समिति भी अभी तक नहीं थी। ऐसे में संस्कृत भाषा जिसे देववाणी कहा जाता है, उसका उद्धार कैसे होगा, यह यक्ष प्रश्न विभाग, समाज और सरकार के सामने मुंह फैलाए खड़ा है।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज ने संस्कृत बोर्ड से संचालित स्कूलों में भी वे तमाम योजनाएं लागू करने का निर्णय लिया है, जो माध्यमिक कालेजों में संचालित हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रथमा अर्थात कक्षा आठ तक के छात्रों को निशुल्क यूनीफार्म, जूते-मोजे, स्वेटर, बैग के साथ मध्यान्ह भोजन योजना भी संचालित की जाएगी।
इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा विभाग संस्कृत विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति से भी लाभान्वित कराएगा। सभी कालेजों में एक-एक प्रधानाचार्य के साथ चार-चार शिक्षक भी नियुक्त किए जाएंगे। संस्कृत के साथ कॉमर्स, आर्ट, विज्ञान संकाय के सभी नवीन विषय भी पढ़ाने की व्यवस्था सरकार करने जा रही है, लेकिन यह होगा तभी जब पहले शिक्षकों की भर्ती हो।
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