बदायूं विधान सभा सीट-1991 के बाद का मिथक आखिर कब टूटेगा

बदायूं विधान सभा सीट-1991 के बाद का मिथक आखिर कब टूटेगा

बदायूं ,अमृत विचार। बदायूं विधानसभा सीट पर वर्ष 1989 और 1991 में बीजेपी के टिकट पर कृष्ण स्वरूप वैश्य थे। इसके बाद से 2017 तक, कोई भी निवर्तमान विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा का सदस्य नहीं बन सका। यानि 1991 के बाद लगातार दो बार विधायक चुने जाने की तमन्ना किसी की पूरी नहीं हुई। …

बदायूं ,अमृत विचार। बदायूं विधानसभा सीट पर वर्ष 1989 और 1991 में बीजेपी के टिकट पर कृष्ण स्वरूप वैश्य थे। इसके बाद से 2017 तक, कोई भी निवर्तमान विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा का सदस्य नहीं बन सका। यानि 1991 के बाद लगातार दो बार विधायक चुने जाने की तमन्ना किसी की पूरी नहीं हुई।

उप्र के बदायूं जिले की छह विधानसभा सीट में से एक बदायूं विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो 1951 में यह सीट बदायूं नॉर्थ विधानसभा सीट नाम से अस्तित्व में आई थी। पहले विधानसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर निहालउद्दीन विधायक बने और 1957 के विधानसभा चुनाव में इस सीट का नाम बदायूं हो गया। बदायूं विधानसभा सीट से निर्दलीय टीका राम विजयी हुए।

पांच बार चुनाव जीतकर बदायूं में बीजेपी सबसे आगे रही है। इसके अलावा बीजेपी के कृष्ण स्वरूप वैश्य चार बार विधायक रहे। इस सीट पर कुर्मी, ब्राह्मण, वैश्य, पंजाबी और मुसलमान प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कराई है। किसी पार्टी को बदायूं के मतदाताओं ने निराश नहीं किया। यहां तक कि निर्दल प्रत्याशी को भी सीट भेंट कर दी।

नई पार्टियों को भी सम्मान दिया। बावजूद इसके 1991 के बाद बदायूं की जनता ने किसी को लगातार दो बार विधायक नहीं बनाया। बदायूं विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यह मुस्लिम बाहुल्य सीट है लेकिन केबल दो बार ही मुस्लिम प्रत्याशी को जिताया। इसमें 1967 में एमए अहमद और 2012 में आबिद रजा को विधायक बनाया। बाकी 14 बार हिंदू प्रत्याशी इस विधानसभा क्षेत्र से चुने गए।

1985 के बाद से कांग्रेस का पत्ता साफ हुआ
बदायूं विधानसभा सीट से 1962 में कांग्रेस, 1967 में रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) ने जीत दर्ज की। 1969 में भारतीय जनसंघ और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर कृष्ण स्वरूप वैश्य और 1974 में फिर से कांग्रेस जीती। 1980 में कांग्रेस के श्रीकृष्ण गोयल, 1985 में कांग्रेस के प्रमिला भदवार मेहरा चुनाव जीतीं और यही इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की अंतिम जीत थी।

केवल बीजेपी के प्रत्याशी को मिली लगातार दूसरी जीत
बदायूं विधानसभा सीट से 1989 और 1991 के चुनाव में बीजेपी के कृष्ण स्वरूप वैश्य चुनाव जीते लेकिन इसके बाद कोई भी विधायक लगातार दूसरी बार विधानसभा नहीं पहुंच सका। 1991 से 2017 तक हर चुनाव में बदायूं की जनता ने अपना विधायक बदला है। 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा) के जोगेंद्र सिंह अनेजा, 1996 में बीजेपी यह सीट जीती। साल 2002 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विमल कृष्ण अग्रवाल जीते जो आगे चलकर सपा में शामिल हो गए। 2007 में बीजेपी के महेश चंद्र गुप्ता और 2012 में सपा के आबिद रजा विधायक निर्वाचित हुए। इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी को छह, कांग्रेस को तीन, सपा को दो बार जीत मिली।

पिछला चुनाव बीजेपी के प्रत्याशी की झोली में
बदायूं विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने महेश चंद्र गुप्ता को टिकट दिया। बीजेपी के महेश चंद्र ने सपा के आबिद रजा को 16466 वोट के अंतर से हरा दिया। बसपा के उम्मीदवार को इस विधानसभा सीट पर तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा।

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