विधानसभा चुनाव 2022: बिथरी विधानसभा का चुनावी इतिहास एवं दांव-पेंच

बरेली। उत्तर प्रदेश में चुनावी जंग शुरू हो चुकी है। सभी पार्टियों के विधानसभा प्रत्याशी अपने-अपने विकास के वादों से लदे बाणों को लेकर रणभूमि में उतर चुके हैं और भाजपा की खामियां जनता के सामने लाकर उसे असक्षम साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। ऐसे ही उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में …
बरेली। उत्तर प्रदेश में चुनावी जंग शुरू हो चुकी है। सभी पार्टियों के विधानसभा प्रत्याशी अपने-अपने विकास के वादों से लदे बाणों को लेकर रणभूमि में उतर चुके हैं और भाजपा की खामियां जनता के सामने लाकर उसे असक्षम साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
ऐसे ही उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में भी चुनावी माहौल गरम है। सभी पार्टी के प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी सीट से नामंकन भी करा लिया है। 2017 विधानसभा चुनाव के बाद से बरेली जिले में भारतीय जनता पार्टी का जलवा कायम है।
और इस सीट पर भी BJP के कैंडिडेट राजेश कुमार मिश्र उर्फ ( पप्पू भरतौल ) ने सपा के दमदार उम्मीदवार वीरपाल सिंह यादव को 19511 वोटों से हरा कर शांदार जीत हासिल की।

क्या है इस विधानसभा का चुनावी इतिहास
बिथरी चैनपुर विधानसभा आंवला लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। इस विधानसभा में 1.28 लाख मुस्लिम और 1.88 लाख हिंदू वोट हैं। ये सीट 2012 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इस विधानसभा सीट को सन्हा के नाम से जाना जाता था। सनहा विधानसभा इमरजेंसी के पहले 1974 में बना दी गई थी।
आपको बता दें की इस सीट पर BJP मात्र एक ही बार अपना विधायक बना पाई, जबकी सपा और बसपा ने इस सीट पर दो-दो बार अपने झंडे गाड़े हैं। 1977 से 1985 तक ये सीट कांग्रेस के खाते में रही और रामेश्वर नाथ चौबे ने इस सीट से लगातार तीन बार विधायक का ताज अपने सर लिया।
फिर 1989 में जनतादल के सर्वराज सिंह ने कांग्रेस के रामेश्वर नाथ चौबे को मात देकर ये सीट कांग्रेस के खाते से निकाल अपने खाते में चढ़ा ली। वहीं, 1991 में एक बार फिर रामेश्वर नाथ चौबे ने इस सीट पर अपना जलवा कायम कर कांग्रेस का परचम लहराया। बताते चलें की राम मंदिर आंदोलन के बाद प्रदेश में बने समींकरण से इस सीट पर सपा के सर्वराज सिंह ने बीजेपी के धर्मपाल सिंह को मात दी।
लंबे इंतजार के बाद 1996 में बीजेपी की सुमनलता सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की। फिर 2002 में हुए चुनाव में बसपा के धर्मेंद्र कश्यप ने सपा के वीरपाल सिंह यादव को मात देकर इस सीट पर बसपा का खाता खोला। इतना ही नहीं 2007 के चुनाव में भी धर्मेंद्र कश्यप सपा के टिकट पर जीत हासिल करने में सफल रहे।
2012 मे इस सीट का नाम बदल कर बिथरी चैनपुर रख दिया गया और इस चुनाव में बसपा के वीरेंद्र सिंह ने सपा के धर्मेंद्र कश्यप को 3415 वोटों से हराकर इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। वहीं आईईएमसी के ब्रिजेंद्र सिंह तीसरे नंबर पर रहे और कुल 29872 वोट प्राप्त किए।

2017 विधानसभा चुनाव के आंकड़े
2017 के चुनाव की तो मानों जैसे राजनीतिक हवाओं के एक दम रुख पलट गए। भाजपा की लहर इस कदर देश-प्रदेश में आई की कोई भी अन्य पार्टी का प्रत्याशी लहर के सामने खड़ा ही नहीं हो पाया। ठीक इसी तरह बरेली की नौ की नौ विधानसभाओं पर भाजपा के प्रत्याशीयों ने बंपर वोटों से जीत हासिल की।

बिथरी विधानसभा से भी भारतीय जनता पार्टी के कैंडीडेट राजेश कुमार मिश्र उर्फ ( पप्पू भरतौल ) ने सपा के दमदार उम्मीदवार वीरपाल सिंह यादव को 19511 वोटों से मात दी। वहीं बीएसपी के वीरेंद्र सिंह 53286 वोटों पर ही थम गए।
क्या है होने वाले 2022 विधानसभा चुनाव के दांव-पेंच
इस बार भाजपा के टिकट कटने वाले प्रत्याशियों की सूची में विधायक राजेश कुमार मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल का नाम भी है। जिसकी वजह से उनके समर्थक मायूस हैं। अपने तीखे तेवरों को लेकर पप्पू भरतौल पार्टी संगठन के नेताओं से भी कई अवसरों पर उलझ ते देखे गए।
पप्पू भरतौल की पहचान बेहद आक्रामक और जनता से जुड़े हुए विधायक के रुप में पूरे पांच साल रही। उन्होने अपनी विधानसभा में चारो ओर कार्य करवाया। वहीं, उनके पुत्र विक्की भरतौल और उनके भतीजे समाज सेवी अमित भरतौल की भी युवाओं में एक अच्छी छवी रही है। दोनों दिन रात जनता के सुख-दुख में साथ रहे। भाजपा ने इस सीट पर अबकी बार बेहद, सरल सौम्य और शालीन तथा साफ-सुथरी राजनीति करने वाले संगठन के पुराने वरिष्ठ नेता डॉ. राघवेंद्र शर्मा को उम्मीदवार के रूप में उतारा है।

डॉ. राघवेंद्र पिछले चुनाव में भी बिथरी सीट से टिकट के बड़े दावेदार थे लेकिन ऐन वक्त पर उन्हे टिकट न देकर पप्पू भरतौल को टिकट दे दिया गया था। इस बार चुनाव में डॉ. राघवेंद्र को टक्कर देने के लिए समाजवादी पार्टी ने बरेली के पूर्व जिला अध्यक्ष अगम मौर्य को मैदान में उतारा है।

अगम मौर्य की भी जनता में एक मजबूत और अच्छी छवी है। उधर, बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह के पुत्र आशीष पटेल पर भरोसा जताया है। जनता के अनुसार टक्कर दो ही पार्टीयों में जोरदार चलेगी। एक भाजपा दूसरी समाजवादी पार्टी। अब देखना ये है की बिथरी चैनपुर की जनता किन समीकरणों और मुद्दों को देखते हुए अपना विधायक चुनेगी।
ये भी पढ़ें-