Covid-19: डेल्टा, ओमिक्रॉन के बाद अब डेल्मीक्रॉन… जानें क्यों है ये सबसे खतरनाक?

Covid-19: डेल्टा, ओमिक्रॉन के बाद अब डेल्मीक्रॉन… जानें क्यों है ये सबसे खतरनाक?

कोरोनावायरस एक के बाद एक लगातार गंभीर रूप धारण करता जा रहा है। कोविड में बार-बार हो रहे म्यूटेशन की वजह ही है कि पहले एल्फा आया, फिर बीटा, गामा, डेल्टा और फिर ओमिक्रॉन। फिलहाल, ओमिक्रॉन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है और इसके केस भी भारत समेत कई देशों में बढ़ते जा रहे …

कोरोनावायरस एक के बाद एक लगातार गंभीर रूप धारण करता जा रहा है। कोविड में बार-बार हो रहे म्यूटेशन की वजह ही है कि पहले एल्फा आया, फिर बीटा, गामा, डेल्टा और फिर ओमिक्रॉन। फिलहाल, ओमिक्रॉन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है और इसके केस भी भारत समेत कई देशों में बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच, एक और ‘वेरिएंट’ की चर्चा होने लगी है, जिसका नाम है डेल्मीक्रॉन। डेल्मीक्रॉन को भी कोरोना वायरस का नया वेरिएंट माना जा रहा है और अब इसने खतरे की घंटी भी बजा दी है।

तो ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये डेल्मीक्रॉन क्या है और क्या यह कोरोना का नए वेरिएंट है। इसके अलावा जानते हैं कि यह किस तरह से इन दोनों वेरिएंट से खतरनाक हो सकता है। साथ ही जानते हैं डेल्मीक्रॉन से जुड़ी कई खास बातें…

क्या है डेल्मीक्रॉन?
बता दें कि डेल्मीक्रॉन कोरोनावायरस का वेरिएंट नहीं हैं, इसे कोरोना का अलग वेरिएंट नहीं कहा जा सकता है। दरअसल, माना जा रहा है कि यह डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट का मिश्रण है, जो अभी यूरोप और अमेरिका में बढ़ता जा रहा है। डेल्मीक्रॉन कोरोना वायरस का डबल वेरिएंट है, जो पश्चिमी देशों की तरफ फैल रहा है। यह नाम डेल्टा और ओमिक्रॉन से निकला है और भारत में ये दोनों वेरिएंट मौजूद हैं। जिसका मतलब है कि भारत समेत कई देशों में डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए इसे डेल्मीक्रॉन कहा जा रहा है। माना जा रहा है कि डेल्मीक्रॉन की लहर लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक कई देश डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों का सामना कर रहे हैं और केस बढ़ने की वजह से अब डेल्मीक्रॉन की स्थिति बन रही हैं, जिसमें दोनों ही वेरिएंट के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

कैसे मिला ओमिक्रॉन नाम?
डब्ल्यूएचओ ने पहले ही डिसाइड कर रखा था कि अबकी से हम रोमन एल्फाबेट नहीं देंगे, ग्रीक एल्फाबेट देंगे। तो ये ग्रीक एल्फाबेट का 15वां अक्षर है, इसका मतलब होता क्रिटिकल। 9 नवंबर को इसका पहला केस दक्षिण अफ्रीका में सामने आया तो डब्ल्यूएचओ ने इसे बहुत गंभीरता से लिया, क्योंकि इसमें म्यूटेशंस बहुत ज्यादा पाए गए थे और 26 नवंबर को इसे नाम दे दिया ओमिक्रॉन।

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