हल्द्वानी: पहाड़ के गांवों में बसे लोगों को मिलेगी ‘घर-कुड़ी रक्षक’ पेंशन, चुनाव से पहले हरदा का ऐलान

हल्द्वानी: पहाड़ के गांवों में बसे लोगों को मिलेगी ‘घर-कुड़ी रक्षक’ पेंशन, चुनाव से पहले हरदा का ऐलान

अंकुर शर्मा, हल्द्वानी। उत्तराखंड में राजनीतिक संग्राम का शंखनाद हो चुका है। सत्तारुढ़ भाजपा, विपक्ष कांग्रेस, आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली, रोजगार भत्ता, पानी के बिल माफी की योजनाओं के जरिए मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं। राजनैतिक दल इन घोषणाओं से एक दूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं।  अब इस राजनैतिक युद्ध में …

अंकुर शर्मा, हल्द्वानी। उत्तराखंड में राजनीतिक संग्राम का शंखनाद हो चुका है। सत्तारुढ़ भाजपा, विपक्ष कांग्रेस, आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली, रोजगार भत्ता, पानी के बिल माफी की योजनाओं के जरिए मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं। राजनैतिक दल इन घोषणाओं से एक दूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं।  अब इस राजनैतिक युद्ध में पहाड़ की सबसे ज्वलंत समस्या पलायन को भी अस्त्र बना दिया गया है और अस्र बनाने वाले हैं विपक्ष कांग्रेस के महारथी हरदा। उन्होंने पहाड़ के गांवों में बसे लोगों की पेंशन योजना में शामिल करने की घोषणा की है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तराखंड चुनाव संचालन समिति अध्यक्ष हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए कहा कि जनता के बीच जाने पर चमत्कारिक सुझाव मिलते हैं। ऐसा ही एक सुझाव मिला है पहाड़ की ज्वलंत की समस्या पलायन के लिए।

उन्होंने कहा कि पहाड़ की जनता पलायन के लिए बेबस हैं लेकिन इस बेबसी में भी लोग हैं जो पहाड़ नहीं छोड़ रहे हैं, घर कुड़ी के रक्षक हैं। ऐसे लोग जिन्होंने गांव में अपने मकान के दरवाजे खोलकर रखे हैं। ऐसे लोगों के लिए सम्मापूर्ण जीविकोपार्जन के लिए घर कुड़ी रक्षक पेंशन योजना का सुझाव जनता ने दिया है। हर दा ने आश्वासन दिया है कि जनता के इस सुझाव को कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के साथ चर्चा के बाद कांग्रेस की भविष्य योजनाओं में सम्मिलित की जाएगी।

हिटौ पहाड़ा का मंत्र दिया था हरदा ने 

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पलायन की रोकथाम के लिए हिटौ पहाड़ा का मंत्र दिया था। उन्होंने देश के दूसरे कोने में रह रहे पहाड़ के बाशिंदों से पहाड़ लौटने की अपील की थी ताकि वीरान  होते पहाड़ों को आबाद किया जा सके।

कुमाऊंनी परिधान को बढ़ावा देने के लिए चैतोले में देंगे पारंपरिक वस्र 

पिथौरागढ़ के लोकप्रिय जौलजीबी के मेले में शामिल हुए हरीश रावत ने कहा कि मेले के रंग, जौनसारी, अनवार, वनराजी महिलाओं के आभूषण, वेशभूषा की छटा को देखकर लगा कि राज्य सरकार को इनकी वेशभूषा को प्रोत्साहित करने को योजना शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में चैतोले की योजना शुरू की थी इसमें बाहर बसे हुये भाई-बहन जब चैत के महीने में घर आएंगे तो सरकार की ओर से ग्राम प्रधान उनको भिटोली के तौर पर 500 रुपए और एक साड़ी भेंट करेंगे।

हरदा ने कहा कि महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा देखकर लगता है कि इस योजना में बदलाव की जरूरत है इन महिलाओं को चैतोले के तौर पर साल में एक बार पांच सौ रुपए के साथ परंपरागत वस्र आभूषण भिटौली के तौर पर दिया जाए। ताकि कुमाऊंनी सभ्यता को प्रोत्साहन मिले।