बरेली: दोगुनी कीमतें और आधी पढ़ाई, अभिभावकों का सवाल... कब रुकेगी किताबों की महंगाई?

बरेली, अमृत विचार: 1 अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होने जा रहा है। शिक्षा विभाग किताबों और फीस के नाम पर मनमानी करने वाले स्कूल प्रबंधन और पुस्तक विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी जारी कर चुका है। लेकिन, हकीकत कुछ और है। स्कूलों ने फिर कोर्स की कीमतें 10 से 20 फीसद बढ़ा दी हैं। अभिभावक तिलमिला कर रह गए हैं।
महंगी होती किताबों का बोझ अभिभावकों का तनाव बढ़ा रहा है। बच्चों के भविष्य की गांठ से बंधे अभिभावक हमेशा की तरह मौखिक विरोध के अलावा कुछ और कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।
स्कूलों में खेल -खेल में पढ़ने गए नन्हें-मुन्ने बच्चों की पढ़ाई में भी खेल शुरू हो गया। इन बच्चों को महंगे कोर्स के बोझ के साथ खेलना हाेगा। प्ले ग्रुप के बच्चों की किताबें ढाई हजार रुपये की हो गईं। जो पिछले साल करीब 2200 रुपये की थीं। जबकि एलकेजी की कॉपी-किताबें इस बार साढ़े तीन हजार रुपये में मिल रही हैं। अन्य कक्षाओं का भी कोर्स महंगा हो गया है।
जबकि दावा किया जा रहा है कि कॉपी-किताबों के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। मंगलवार को कोतवाली क्षेत्र में किताब विक्रेताओं के पास जाकर हकीकत जानी तो हर किताब की कीमत पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ी मिली। जबकि बदलाव केवल कवर और चैप्टर में किया गया है।
किताबों की सूची के साथ दुकान का नाम भी
जिले में सीबीएसई के 90 स्कूल, आईसीएसई के करीब 15 स्कूल हैं। इनमें डेढ़ लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हर साल की तरह अभिभावकों को बच्चों का एडमिशन कराने के साथ ही कोर्स की सूची दुकान के नाम के साथ थमाई जा रही है। किसी अन्य पुस्तक विक्रेता के पास कोर्स मिलता नहीं, मजबूरी में अभिभावक को उसी दुकान से पुस्तकें खरीदनी होंगी।
सरकार ने भले ही एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ बस्ते का बोझ निर्धारित किया हुआ है लेकिन, कमीशनखोरी के चलते यह संभव नहीं दिखाई देता। न ही सरकार स्कूलों और प्रकाशकों की इस साठगांठ को तोड़ पाने की कोई कोशिश करती दिख रही है।
कोर्स की कीमत
कक्षा- 2025- 2024
प्लेग्रुप-2500-2250
एलकेजी-3500 -3250
यूकेजी-3600 -3300
एक-5400-5100
दो-5600-5300
तीन-5900-5500
चार-6100-5800
पांच-6250-6000
छह-5300-5100
सात-5400-5150
आठ-5600-5350
दावे तो हर साल होते हैं, फिर भी अभिभावक लुटता है। किताबों की कीमतें निर्धारित करने के लिए सरकार को सख्त नियम बनाना चाहिए बल्कि उसका पालन भी हो। आखिर कब तक अभिभावक यूं ही स्कूलों की मनमानी का शिकार होता रहेगा- आकांक्षा सिंह, अभिभावक
निजी स्कूलों में मनमानी हावी है। जब तक इन स्कूलों में सख्ती से एनसीईआरटी की किताबें नहीं लगाई जाएंगी तब तक अभिभावकों को काई राहत नहीं मिलेगी। यह मकड़जाल बहुत मजबूत हैं, सख्ती के बिना इसे तोड़ा जाना संभव नहीं-मनीषा सिंह, अभिभावक
सिर्फ नियम बना देने से कुछ नहीं होगा। सरकार को स्कूलों पर सख्ती करनी चाहिए। कई बार किताबों के कवर बदलकर ही नई किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ता है- रिद्धिमा, अभिभावक
प्लेग्रुप का कोर्स पिछले साल की अपेक्षा 10 से 20 फीसद महंगा हो गया। खेल-खेल में पढ़ना सीख रहे बच्चे इतना महंगा कोर्स पढ़ेंगे। यह स्कूलों की मनमानी है जिसका शिकार अभिभावकों को बनाया जाता है। सरकार को इस मनमानी पर अंकुश लगाना चाहिए-सुनीता, अभिभावक
पिछले साल की अपेक्षा इस साल कागज कुछ महंगा हो गया है। इसी के चलते किताबों-कापियों के दाम भी कुछ बढ़ाये गए हैं। कीमत इतनी भी नहीं बढ़ी कि जेब पर बोझ लगे- राजीव शर्मा, पुस्तक विक्रेता
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