बरेली: पौधों को सुखाकर वैज्ञानिक रूप से वर्गीकरण ही हरबेरियम कहलाता है

बरेली, अमृत विचार। बरेली कॉलेज एनएसएस इकाई प्रथम एवं भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा पौधों के नामकरण एवं हरबेरियम तकनीकी कार्यशाला के तहत शुक्रवार को वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई व तकनीकि प्रभारी डॉ. सुधांशु शेखर दास ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि बरेली कॉलेज उत्तर प्रदेश में वनस्पति शास्त्र पढ़ने वाले …
बरेली, अमृत विचार। बरेली कॉलेज एनएसएस इकाई प्रथम एवं भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा पौधों के नामकरण एवं हरबेरियम तकनीकी कार्यशाला के तहत शुक्रवार को वनस्पति सर्वेक्षण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई व तकनीकि प्रभारी डॉ. सुधांशु शेखर दास ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि बरेली कॉलेज उत्तर प्रदेश में वनस्पति शास्त्र पढ़ने वाले व शोध करने वाले विद्यार्थियों की लाइफ लाइन हो सकता है। यदि छात्र विलुप्त हो रही पौधों की प्रजातियों को खोजने का कार्य करेंगे तब बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया ऐसे पौधों के संरक्षण का प्रयास करेगा।
डॉ. के. कार्तिकेयन वैज्ञानिक ई- ने बताया कि किसी भी स्थान पर पाए जाने वाले पौधों को सुखाकर वैज्ञानिक रूप से वर्गीकरण के अनुसार भविष्य में अध्ययन के लिए सुरक्षित रखना ही हरबेरियम अथवा पादप संग्रहालय कहलाता है। हरबेरियम को किसी भी महाविद्यालय अथवा संस्थान में वहां के वनस्पति का पुस्तकालय कहा जा सकता है क्योंकि उस स्थान की वनस्पति का पूर्व इतिहास हरबेरियम में ही पाया जाता है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. महुआ पाल ने प्रतिभागियों को बताया कि 1785 से 1815 तक भारतीय हरबेरियम के स्थान पर पौधों के रंगीन कलाकृतियां बनाकर उनके इतिहास को संजोया करते थे। बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ. गोपाल कृष्ण ने बताया कि पौधों की पहचान के लिए वनस्पति शास्त्री ही होना आवश्यक नहीं है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक जॉन हचिंसन(1884-1972) स्नातक भी नहीं थे परंतु उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पौधों का वर्गीकरण किया जिसे आज वनस्पति शास्त्र के छात्र पढ़ते हैं। कार्यशाला में बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोग करके भी दिखाए गए। कार्यशाला में प्राचार्य डा. अनुराग मोहन, संयोजक डॉ.निशा वर्मा, डॉ राजीव यादव व अन्य शामिल हुए।