आफत की बारिश: बरेली में बाढ़ जैसी स्थिति, कई गांवों में लोग छतों पर रहने को मजबूर, खाने-पीने के भी लाले

बरेली, अमृत विचार। अक्टूबर माह की मूसलाधार बरसात से बरेली के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। घरों में पानी घुस गया है। घुटनों से उपर तक पानी में लोगों का रहना मुहाल होता जा रहा है। घरों में पानी भरे होने के कारण गांववासियों को अपने छोटे बच्चों को गोदी …
बरेली, अमृत विचार। अक्टूबर माह की मूसलाधार बरसात से बरेली के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। घरों में पानी घुस गया है। घुटनों से उपर तक पानी में लोगों का रहना मुहाल होता जा रहा है। घरों में पानी भरे होने के कारण गांववासियों को अपने छोटे बच्चों को गोदी में लेकर जागकर रात गुजारनी पड़ रही है ताकि उनके बच्चे सुरक्षित रह सकें।
वहीं कई गांव में जलस्तर बढ़ने से घर तक डूब चुके हैं लोग छतों पर अपने परिवार के साथ बैठे हैं। उस पर से बारिश से धान की फसल नष्ट हो गई है और गन्ना पर संकट के बादल छा गए हैं। चारा न मिलने से पशुओं की जान पर बन आई है। गांववासियों को अपने पशुओं के लिए चारा तक नहीं मिल पा रहा है। बरेली के शेरगढ़ के नगरिया कला गांव, हाबूडा बस्ती,कस्बापुर, बरीपुरा, धर्मपुरा, कमालपुर, लखीमपुर और दुनका के कमालपुर, धरमपुरा, वसई, सुल्तानपुर, बिहारीपुर, भमोरा के गांव जलमग्न हो चुके हैं। शाही के किच्छा नदी का जलस्तर बढ़ने पर भमोरा-दुमका मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुका है।
शेरगढ़ में बाढ़ जैसी स्थिति बन चुकी है। बाढ़ नवनिर्मित पंचायत सचिवालय नेहरू मंडल कार्यालय समेत सरकारी कार्यालयों में भी पानी घुस गया है। गांव में तेजी से जलस्तर बढ़ता जा रहा है। ज्यादातर परिवार घरों में कैद घर हैं क्योंकि बाहर निकलने जगह ही नहीं है। नगरिया कला गांव के हाबूडा बस्ती में पानी में लोगों के घर डूब चुके हैं लोगों को अब सिर्फ छत का सहारा है। कस्बापुर, बरीपुरा, धर्मपुरा, कमालपुर, लखीमपुर में स्थितियां बद से बद्तर होती जा रही हैं। नगरिया कलां के 77 वर्षीय रिटायर्ड अध्यापक रघुवर दयाल गंगवार ने बताया कि हर जगह पानी ही पानी है। इस वक्त बेबस और लाचार महसूस कर रहे हैं। पानी के तेज बहाव से दुनका-नगरिया सोबरनी मार्ग भी कट गया है।
दुनका के कमालपुर, धरमपुरा, वसई, सुल्तानपुर, दुनका, बिहारीपुर, भमोरा आदि गांव बुरी तरीके से नदियों का पानी हर गांव में और घरों में हो घुस चुका है। बारिश से धान की फसल चली गई अब बचा हुआ धान पानी में बहा जा रहा है। जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है और गरीब लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है। लोग दो वक्त का खाना भी नहीं खा पा रहे हैं। लगातार बारिश से गांव के कई घर भी धाराशाही हो चुके हैं। शाही के किच्छा नदी का जलस्तर बढ़ने पर भमोरा-दुमका मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुका है। आवाजाही बाधित हो चुकी है और दर्जनों गांव में पानी घुस चुका है। कई गांव जलमग्न हो गए है।
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