मां दुर्गा डोली में सवार होकर आएंगी, इस शुभ मुहूर्त में करें कलश की स्थापना

मां दुर्गा डोली में सवार होकर आएंगी, इस शुभ मुहूर्त में करें कलश की स्थापना

शारदीय नवरात्रि 7 अक्‍टूबर गुरुवार से आरंभ हो रहे हैं। इस बार मां दुर्गा डोली में सवार होकर धरती पर आ रही हैं। शास्‍त्रों के अनुसार मां का डोली में आगमन शुभ नहीं माना गया है। वहीं हाथी पर विदाई को शुभ माना गया है। हाथी पर मां की विदाई होने से अच्‍छी बारिश होती …

शारदीय नवरात्रि 7 अक्‍टूबर गुरुवार से आरंभ हो रहे हैं। इस बार मां दुर्गा डोली में सवार होकर धरती पर आ रही हैं। शास्‍त्रों के अनुसार मां का डोली में आगमन शुभ नहीं माना गया है। वहीं हाथी पर विदाई को शुभ माना गया है। हाथी पर मां की विदाई होने से अच्‍छी बारिश होती है और धन-धान्‍य बढ़ता है। देश में शान्ति का वातावरण रहता है। शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2021 को समाप्त होगी।

कलश स्थापना मुहूर्त और सामाग्री
नवरात्रि में घट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है। स्थापना और पूजा के लिए मां दुर्गा की फोटो, आरती की किताब, दीपक, फूल, पान, सुपारी, लाल झंडा, इलायची, बताशा, मिसरी, कपूर, उपले, फल, मिठाई, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सिंदूर, केसर, कपूर, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, सुगंधित तेल, चौकी, आम के पत्ते, नारियल, दूर्वा, आसन, पंचमेवा, कमल गट्टा, लौंग, हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, जायफल, लाल रंग की चुनरी, लाल चूड़ियां, कलश, साफ चावल, कुमकुम, मौली, माचिस और माता रानी के सोलह श्रृंगार के सामान की जरूरत पड़ेगी।

कलश स्थापना विधि
सुबह उठते ही स्नान कर नौ दिन तक व्रत रखने के लिए अंजूली में जल भरकर प्रण लें। नवरात्रि में कलश स्थापना देव-देवताओं के आह्वान से पूर्व की जाती है। कलश स्थापना करने से पूर्व आपको कलश को तैयार करना होगा। सबसे पहले मिट्टी के बड़े पात्र में थोड़ी सी मिट्टी डालें और उसमे ज्वार के बीज डाल दें। अब इस पात्र में दोबारा थोड़ी मिट्टी और डालें।  उसके बाद सारी मिट्टी पात्र में डाल दें और फिर बीज डालकर थोड़ा सा जल डालें।

(ध्यान रहे इन बीजों को पात्र में इस तरह से लगाएं कि उगने पर यह ऊपर की तरफ उगें। यानी बीजों को खड़ी अवस्था में लगाएं और ऊपर वाली लेयर में बीज अवश्य डालें।) अब कलश और उस पात्र की गर्दन पर मौली बांध दें। साथ ही तिलक भी लगाएं। इसके बाद कलश में गंगा जल भर दें। इस जल में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का भी दाल दें।अब इस कलश के किनारों पर 5 अशोक या आम के पत्ते रखें और कलश को ढक्कन से ढक दें। अब एक नारियल लें और उसे लाल कपड़े या लाल चुन्नी में लपेट लें। चुन्नी के साथ इसमें कुछ पैसे भी रखें। इसके बाद इस नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र से बांध दें।

तीनों चीजों को तैयार करने के बाद सबसे पहले जमीन को अच्छे से साफ़ करके उसपर मिट्टी का जौ वाला पात्र रखें। उसके ऊपर मिटटी का कलश रखें और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें। आपकी कलश स्थापना संपूर्ण हो चुकी है। इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करके विधिवत नवरात्रि पूजन करें। इस कलश को आपको नौ दिनों तक मंदिर में ही रखे देने होगा। बस ध्यान रखें सुबह-शाम आवश्यकतानुसार पानी डालते रहें। नवरात्री के व्रत का उद्दयापन करने के बाद ही इस कलश को हिलाना चाहिए।

इन बातों को रखें ध्यान
15 अक्टूबर तक  दिन में जब भी समय मिले, रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मंत्र जाप करें। व्रत में फलाहार करें। घर में भी खाने में तामसिक चीजों का प्रयोग न करें। शुद्ध मन व्रत करें। ना तो गुस्‍सा करें और ना ही किसी को अपशब्‍द कहें। इस दौरान बाल-नाखून न काटें।

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