अमृत महोत्सव : काकोरीकांड की एक मात्र गवाह बनी सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर…

नौ अगस्त 1925 को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के युवा क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए लूटा था सरकारी खजाना आज भी यह पैसेंजर ट्रेन सहारनपुर से चल कर मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, संडीला, काकोरी का सफर तय कर आती है लखनऊ लखनऊ । देश की आजादी तमाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति …
- नौ अगस्त 1925 को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के युवा क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए लूटा था सरकारी खजाना
- आज भी यह पैसेंजर ट्रेन सहारनपुर से चल कर मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, संडीला, काकोरी का सफर तय कर आती है लखनऊ
लखनऊ । देश की आजादी तमाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराया था। इतिहास के पन्नों में इन शहीदों की शौर्य गाथा दर्ज है। चाहे वो चौराचौरी की घटना हो या फिर काकोरी कांड इन सभी घटनाओं का मकसद ब्रिटिश हुकूमत की नींव को हिलाना था। आज पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं।
इस आजादी के पीछे क्रांतिकारियों ने कितनी यातनाएं झेली इस बात की गवाही आज भी सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन दे रही हैं। ये वही पैसेंजर गाड़ी है जो सरकारी खजाने को लेकर सहारनपुर से लखनऊ के लिए रवाना हुई थी लेकिन काकोरी रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर युवा क्रांतिकारियों ने इस खजाने को देश की आजादी के लिए लूट लिया था।
बता दें कि, काकोरी कांड की घटना 09 अगस्त 1925 में हुई। उस वक्त देश की आजादी के लिए संघर्ष तेज हो चुका था और युवा क्रांतिकारियों का एक मात्र मकसद था कि आजाद भारत का सपना कैसे भी साकार हो। तभी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के युवा क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने के लिए सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई। जिसमें पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह समेत अन्य क्रांतिकारियों की भूमिका थी।
उस दौर में सहारनपुर क्रांतिकारियों का महत्वपूर्व केंद्र हुआ करता था। यहां अक्सर दिन भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस समेत कई बड़े क्रांतिकारियों की बैठकें आयोजित की जाती थी। बता दें कि 09 अगस्त 1925 को सहारनपुर पैसेंजर सरकारी खजाने को लेकर लखनऊ के लिए रवाना हुई और इस खजाने को लूटने के लिए कुछ क्रांतिकारी हरदोई रेलवे स्टेशन से ट्रेन की बोगी में सवार हो गए। जबकि अन्य क्रांतिकारी काकोरी रेलवे स्टेशन में ट्रेन की अलग बोगी में चढ़ गए।
बता दें कि जब पैसेंजर ट्रेन से काकोरी रेलवे स्टेशन से रफ्तार भरी तो कुछ ही दूरी पर ट्रेन में सवार क्रांतिकारियों ने चेन खींचकर गाड़ी रोक ली और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और उनके साथियों ने गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ सरकारी खजाना लूट लिया। हालांकि, 19 दिसंबर 1927 को काकोरी कांड में शामिल क्रांतिकारी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पं. राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।
आज भी लखनऊ के लिए चलती है सहारनपुर पैसेंजर
बता दें कि आजादी से पहले सहारनपुर पैसेंजर रेलयात्रियों के लिए संचालित है। पहले यह ट्रेन आठ-डाउन पैसेंजर बनकर सहारनपुर से लखनऊ तक चलती थी। अब 54252 डाउन ट्रेन बनकर सुबह 8:20 पर सहारनपुर से चलती है।
यह पैसेंजर ट्रेन सहारनपुर से चलती मुरादाबाद वाया रामपुर, मिलक, बरेली, तिलहर, शाहजहांपुर, हरदोई, बालामऊ, संडीला, काकोरी होते हुए लखनऊ पहुंचती हैं। हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना वायरल के चलते इस ट्रेन का संचालन बीते दो सालों से बंद कर दिया गया। हाल ही में रेलमंत्री रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने सहारनपुर-लखनऊ के रेल यात्रा को पुन: प्रारंभ करने का आश्वासन दिया है।
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