World Athletics Championships 2022 : राष्ट्रमंडल खेलों में वापसी करना चाहेंगे अमित पंघाल और लवलीना बोरगोहेन
नई दिल्ली। भारतीय मुक्केबाज जब राष्ट्रमंडल खेलों में रिंग पर उतरेंगे तो अमित पंघाल टोक्यो ओलंपिक खेलों की निराशा जबकि लवलीना बोरगोहेन विश्व चैंपियनशिप के लचर प्रदर्शन को भुलाकर वापसी करने की कोशिश करेंगे। मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत जरीन पर भी सभी की निगाहें टिकी रहेंगी जो अपना स्वर्णिम अभियान जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध …
नई दिल्ली। भारतीय मुक्केबाज जब राष्ट्रमंडल खेलों में रिंग पर उतरेंगे तो अमित पंघाल टोक्यो ओलंपिक खेलों की निराशा जबकि लवलीना बोरगोहेन विश्व चैंपियनशिप के लचर प्रदर्शन को भुलाकर वापसी करने की कोशिश करेंगे। मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत जरीन पर भी सभी की निगाहें टिकी रहेंगी जो अपना स्वर्णिम अभियान जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। निकहत ने हाल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खिताब जीता और इसके बाद प्रतिष्ठित स्ट्रेंडजा मेमोरियल टूर्नामेंट और फिर विश्व चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल किये। यह अलग बात है कि इस 26 वर्षीय मुक्केबाज को राष्ट्रमंडल खेलों में अलग तरह की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
निकहत 52 किग्रा में खेलती हैं लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों में उन्हें 50 किग्रा में भाग लेना होगा। उन्हें और उनके प्रशिक्षकों को यह देखना होगा कि वह इस नए भार वर्ग में कैसे सामंजस्य बिठाती है जिससे कि वे पेरिस ओलंपिक के लिए उनका भार वर्ग तय कर सकें। जहां तक लवलीना का सवाल है तो यह वर्ष उनके लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा। असम की इस मुक्केबाज ने पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था और तभी से उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इस 24 वर्षीय मुक्केबाज ने स्वीकार किया तोक्यो ओलंपिक के बाद के तमाम कार्यक्रमों में भाग लेने से उनका ध्यान भंग हुआ और इससे उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ा।
विश्व चैंपियनशिप में दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना इस बार शुरुआत में ही बाहर हो गई थी। ऐसे में वह राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर इस निराशा को दूर करने की कोशिश करेंगी। पंघाल (51 किग्रा) ने पिछली बार गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। इसके अलावा उन्होंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था। उन्हें ओलंपिक में पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन वह प्री क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए थे। पंघाल ने इसके बाद विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने थाईलैंड ओपन में वापसी की जहां वह रजत पदक जीतने में सफल रहे। उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में भी पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है और इस बार वह उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे।
इसी तरह से अनुभवी शिव थापा (63.5 किग्रा) भी अपने नाम पर राष्ट्रमंडल खेलों का पदक दर्ज करना चाहेंगे। इस 28 वर्षीय मुक्केबाज के नाम पर एशियाई चैंपियनशिप के पांच पदक दर्ज है। उन्होंने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं लिया था। ओलंपियन आशीष कुमार (80 किग्रा), पिछली बार के कांस्य पदक विजेता मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा) और एशियाई चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता संजीत (92 किग्रा से अधिक) भी खिताब के दावेदार हैं। रोहित टोकस (67 किग्रा), सुमित कुंडू (75 किग्रा), और सागर (+92 किग्रा) के पास अनुभव कम है, लेकिन उनमें जबरदस्त क्षमता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन खेलों के दबाव को कैसे झेलते हैं। महिला वर्ग में दिग्गज एमसी मेरीकॉम की अनुपस्थिति में सभी उम्मीदें लवलीना और निकहत पर टिकी होंगी, लेकिन नवोदित नीतू घंघास (48 किग्रा) और जैस्मीन लेम्बोरिया (60 किग्रा) को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
भारतीय टीम इस प्रकार है :
महिला: नीतू (48 किग्रा), निकहत जरीन (50 किग्रा), जैस्मीन (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (70 किग्रा)। पुरुष: अमित पंघाल (51 किग्रा), मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा), शिव थापा (63.5 किग्रा) रोहित टोकस (67 किग्रा), मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन सुमित (75 किग्रा), आशीष कुमार (80 किग्रा), संजीत (92 किग्रा) और सागर (92 किग्रा से अधिक)।
राष्ट्रमंडल खेलों में एक बार फिर चुनौती पेश करने को तैयार हैं अश्विनी
राष्ट्रमंडल खेलों में 12 साल पहले पदार्पण करते हुए महिला युगल में एतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की युगल विशेषज्ञ बैडमिंटन खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा चौथी बार इन खेलों में हिस्सा लेने की तैयारी कर रही हैं। अश्विनी की जीत की भूख में हालांकि कोई कमी नहीं आई है। उनके स्मैश पहले की तरह दमदार हैं और वह विरोधी खिलाड़ियों की सर्विस और रिटर्न को अब भी काफी अच्छी तरह से भांप लेती हैं। राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण सहित पांच पदक, विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली दो बार की ओलंपियन अश्विनी 28 जुलाई से शुरू हो रहे खेलों में एक बार फिर अपना दम दिखाने को तैयार हैं।
इस लम्हे को दोबारा जीना चाहती हूं-अश्विनी
अश्विनी ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘इन वर्षों में काफी उतार चढ़ाव आए। 10 वर्षों में मैं काफी बदल गई, काफी सुधार किया है, अब मेरे पास काफी अधिक अनुभव है और एक बार फिर राष्ट्रमंडल खेलों की टीम में जगह बनाकर काफी अच्छा लग रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसकी शुरुआत 2010 में हुई थी और यह मेरे लिए काफी नई चीज थी। स्वर्ण पदक जीतना शानदार लम्हा था। इस लम्हे को दोबारा जीना चाहती हूं।’’ अश्विनी ने ज्वाला गुट्टा के साथ मिलकर दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को महिला युगल में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। भारतीय टीम ने भी रजत पदक जीता था। अश्विनी और ज्वाला ने चार साल बाद रजत पदक जीता। अश्विनी ने गोल्ड कोस्ट में हुए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को मिश्रित टीम स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
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