sudarshan
साहित्य 

बात अठन्नी की…

बात अठन्नी की… रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहां नौकर था। दस रुपए वेतन था। गांव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे। इन सबका भार उसी कंधों पर था। वह सारी तनख़्वाह घर भेज देता, पर घरवालों का गुज़ारा न चल पाता। उसने इंजीनियर साहब से वेतन बढ़ाने की बार-बार प्रार्थना की पर …
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साहित्य 

अंधेरी दुनिया….

अंधेरी दुनिया…. मुझमें और तुममें बहुत भेद है। तुम सहस्रों दृश्य देखते हो, मैं केवल आवाजें सुनती हूं। पृथ्वी आकाश, बाग बगीचे, बादल, चन्द्रमा, तारे यह मेरे लिए ऐसे रहस्य हैं, जो कभी न खुलेंगे। पर्वत और खोह में मेरे निकट एक न ही भेद है और वह यह कि पर्वत के ऊपर चढ़ते समय दम फूल …
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