लोकजीवन
धर्म संस्कृति 

शास्त्र ने धर्म के तत्त्व को लोकजीवन के गहन संपर्क से प्राप्त किया और निरंतर प्राप्त करता रहा है!

शास्त्र ने धर्म के तत्त्व को लोकजीवन के गहन संपर्क से प्राप्त किया और निरंतर प्राप्त करता रहा है! धर्म और ज्ञान के क्षेत्र में न तो उसने वर्ण को ही महत्त्व दिया और न पुरुष को और न उम्र को ! साधना और आचरण का महत्त्व है ! शास्त्र का लोकतात्त्विक-अनुसंधान करने पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि ब्राह्मण को ही उपदेश का अधिकार हो ,,ऐसी बात नहीं है ! महाभारत …
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