रामपुर : राजनीति के गढ़ रहे हैं ‘कोठी खास बाग’ और ‘नूर महल

रामपुर : राजनीति के गढ़ रहे हैं ‘कोठी खास बाग’ और ‘नूर महल

अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। राजनीति में रामपुर हमेशा सुर्खियों में रहा है। इसका श्रेय जाता है, यहां की रियासत और उसके वंशजों को। चाहे कोठी खास बाग रही हो या फिर नूर महल यह राजनीति के गढ़ रहे हैं। यहां के मेहमान महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, देवे गौड़ा, मनमोहन सिंह जैसे नेता और …

अखिलेश शर्मा/अमृत विचार। राजनीति में रामपुर हमेशा सुर्खियों में रहा है। इसका श्रेय जाता है, यहां की रियासत और उसके वंशजों को। चाहे कोठी खास बाग रही हो या फिर नूर महल यह राजनीति के गढ़ रहे हैं। यहां के मेहमान महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, देवे गौड़ा, मनमोहन सिंह जैसे नेता और दिलीप कुमार जैसे अभिनेता बन चुके हैं। लेकिन नवाबों के धुर विरोधी आजम खां ने भी जौहर विश्विवद्यालय की स्थापना के बाद अपने यहां सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का यादगार जन्म दिन मनाकर उन्हें विक्टोरिया बग्घी में घुमाया। वहीं 75 फिट का केक काटकर दो दिन तक रामपुर में उप्र की पूरी सरकार को बुलाकर इतिहास रचकर सुर्खियां बटोरी।

आजादी से पहले यहां नवाबों का राज था। अब जिस तरह केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल राजभवन में रहते हैं। ठीक उसी तरह नवाबी दौर में अंग्रेजी हुकुमत के वायसराय के प्रतिनिधि रामपुर रियासत में तैनात रहते थे। पहले नवाब खानदान किले में रहता था तो प्रतिनिधि का आवास भी वहीं था।

1930 में जब कोठी खास बाग बनी, तब कचहरी के पास राजभवन बनाया गया। इसी महल में वायसराय के प्रतिनिधि रहने लगे। 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन रामपुर इसके दो साल बाद 1949 में आजाद हुआ, तब राजभवन को गेस्ट हाउस बना दिया गया। इसका नाम नवाब रजा अली खां के बेटे नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां के नाम पर जुल्फिकार मंजिल रखा गया। 1956 में मिक्की मियां की शादी बेगम नूरबानो के साथ हुई तब नूरबानो दुल्हन के रूप में कोठी खासबाग आईं। कई साल तक यहीं रहीं, लेकिन बाद में मिक्की मियां परिवार समेत जुल्फिकार मंजिल में रहने लगे। वह बेगम नूरबानो से बेपनाह मुहब्बत करते थे। इसलिए उन्होंने अपने महल का नाम भी जुल्फिकार मंजिल से बदलकर बेगम के नाम पर नूरमहल रख दिया।

नूरमहल की रामपुर ही नहीं, बल्कि देश की सियासत में भी खास पहचान रही है। मिक्की मियां पांच बार और बेगम नूरबानो दो बार सांसद चुनी गईं, जबकि उनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हुए। यही वजह रही कि देश की तमाम सियासी हस्तियां भी नूरमहल आती रहीं।

कोठी खास बाग में महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू कई बार मेहमान बने। तो प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी भी नूरमहल में आई थीं, उन्होंने रात भी यहीं बिताई थी। 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा यहां आए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नूरमहल आए थे। दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित कई बार नूरमहल आईं। उनके पति विनोद दीक्षित से मिक्की मियां के घनिष्ठ संबंध थे, जबकि विनोद दीक्षित के पिता उमा शंकर दीक्षित से नवाब रजा अली खां के पारिवारिक संबंध रहे।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई बार मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी और हरीश रावत भी बार-बार नूरमहल आए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उत्तर प्रदेश के कई राज्यपाल भी नूरमहल आते रहे। मशहूर फिल्म अदाकार दिलीप कुमार भी यहां लगातार कई बार रुके हैं।

मुलायम सिंह का शाही अंदाज में जन्मदिन मना चुके हैं आजम खां
जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद ही आजम खां का सपना था पूरा हो गया तो 21 नवंबर 2014 को मुलायम सिंह का 75वां जन्मदिन रामपुर में शाही अंदाज में मनाया गया था। नेताजी को अपना जन्मदिन रामपुर में मनाने का निमंत्रण तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने दिया था। आजम खां ने उनके जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए खासतौर पर विक्टोरिया बग्घी मंगाई थी। शहर को दुल्हन की तरह सजाया। उनके साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव भी थे। अंबेडकर पार्क के पास पहुंचने पर फूलों की बारिश के बाद स्वागत किया गया।