रामपुर किला : कभी तोपों से दी जाती थी सलामी, अब मिट रही निशानी

रामपुर किला : कभी तोपों से दी जाती थी सलामी, अब मिट रही निशानी

रामपुर, अमृत विचार। रियासत की असली निशानी रामपुर का किला एक नहीं हजारों बार तोपों की सलामी का गवाह बना है। जब भी रियासत में कोई खुशी हुई किले से तोपों की सलामी दी जाती थी, महात्मा गांधी के निधन पर भी यहां से तोपों की सलामी देकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी। आज …

रामपुर, अमृत विचार। रियासत की असली निशानी रामपुर का किला एक नहीं हजारों बार तोपों की सलामी का गवाह बना है। जब भी रियासत में कोई खुशी हुई किले से तोपों की सलामी दी जाती थी, महात्मा गांधी के निधन पर भी यहां से तोपों की सलामी देकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी। आज वही ऐतिहासिक किले की निशानी को शासन और प्रशासन मिटाने पर तुले हैं। अतिक्रमणकारी किले की शान और शौकत पर बट्टा लगा रहे हैं। वहीं अफसर अनदेखी कर रहे हैं। राष्ट्रीय धरोहर का अस्तित्व संकट में है।

  • रियासत की विरासत यह किला संरक्षित नहीं रख पा रही प्रदेश सरकार
  • रजा लाइब्रेरी सीआईएसएफ के हवाले न होती तो यहां भी होता यही हाल

वर्ष 1949 तक किले की शानो शौकत का यह आलम था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। किले के दोनों गेटों पर नवाब की फौज का पहरा रहता था। शहर के बीचों-बीच स्थित किला किसी कमल की तरह था। हामिद मंजिल में बैठक नवाब समेत उनका मंत्रिमंडल रियासत का राजकाज चलाता था। किले के भीतर घोड़ों पर सवार फौज के सिपहसालार घूमते रहते थे किले में माहे मोहर्रम के अलावा किसी आम आदमी को आने की इजाजत नहीं थी। लेकिन, आज स्थिति यह है कि किले की शानो-शौकत को मामूली-मामूली लोग बट्टा लगा रहे हैं। अनदेखी के चलते किले में अतिक्रमण अमरबेल की तरह फैल रहा है। फिलवक्त, किला स्थित एलआईयू दफ्तर के सामने अवैध निर्माण हो रहा है।

73 साल में किले की खूबसूरती पर दाग लगते गए और उन दागों को मिटाने के लिए कोई पहल नहीं हुई। हालांकि, विशेषज्ञ रामपुर किले से अतिक्रमण साफ कराए जाने और पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग कर रहे हैं। रामपुर की आन-बान-शान माने जाने वाला किला 117 साल से ज्यादा समय का इतिहास अपने में समेटे हुए है। किले को तामीर कराने में अस्सी साल का वक्त लग गया था। यूं तो किले संगे बुनियाद रामपुर के पहले नवाब फैजुल्लाह खां ने 1774 में रखी थी लेकिन, इसका दोबारा से तामीर नवाब हामिद अली खां ने कराई थी और किले का नक्शा फ्रांसीसी इंजीनियर डब्ल्यू सी राइट से तैयार कराया था। नवाब हामिद अली खां ने दोबारा से किले का निर्माण 1825 से 1905 तक कराया था। यानि किले के निर्माण में अस्सी साल का वक्त लग गया। लोग किले से अतिक्रमण साफ कराकर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग कर रहे हैं।

हामिद मंजिल में सभी धर्मो की उत्क्रीण हैं इबादतगाहें
नवाब हामिद अली खां ने किले का नक्शा फ्रांसीसी इंजीनियर डब्ल्यू सी राइट से तैयार कराया था। डब्ल्यू सी राइट से खास तौर से ऐसी नक्शा बनाने को कहा था कि उसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी धर्मो की इबादतगाहों के प्रतीक शामिल हों। हामिद मंजिल पर चारों धर्मो के प्रतीक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च को आज भी देखा जा सकता है। इस हामिद मंजिल वर्तमान में रजा लाइब्रेरी को भी ध्वस्त कराए जाने का मंसूबा आजम खां ने तैयार किया था।

नवाबी दौर की तमाम इमारतों का संरक्षित होना बहुत जरूर है। क्योंकि,आने पीढ़ियां उस दौर के बारे में जान सकेंगी। यह इमारतों तक सीमित नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और हमारी एकता को दर्शाती हैं। -शाह अहमद, अधिवक्ता

रामपुर किले की इमारत करीब 117 वर्ष पुरानी है इसे पुरातत्व विभाग को अपनी सुपुर्दगी में ले लेना चाहिए। ताकि, किले का अस्तित्व बना रहे किला रामपुर की पहचान है। रामपुर ऐतिहासिक शहर है इसलिए लोग यहां आते हैं।
-राहुल गुप्ता, अधिवक्ता

किले में विश्व स्तरीय रजा लाइब्रेरी स्थित है इसमें रखे ज्ञान के भंडार से लाभ लेने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। इसलिए रामपुर किले को स्वच्छ एवं सुंदर होना चाहिए। प्रशासन किले को अतिक्रमण मुक्त कराए। -सैयद तलत, अधिवक्ता

पुरातत्व विभाग 117 साल पुरानी इमारत को अपने कब्जे में लेकर इसे विरासत के रूप में विकसित करे इससे राष्ट्र को काफी आमदनी बढ़ जाएगी। लोग दूर-दूर से रजा लाइब्रेरी में आते हैं किले में साफ सुथराई देखकर रामपुर और यूपी की अच्छी छवि बनेगी। -यशपाल सिंह मौर्य, अधिवक्ता

किले के पश्चिमी गेट पर लगी मूर्ति स्वर्ण परी
नवाब परिवार के वंशज नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां कई बार एसपी को पत्र भेजकर किले की पश्चिमी गेट पर लगी मूर्ति की सुरक्षा व्यवस्था करने की मांग कर चुके हैं। इस मूर्ति को कई बार चुराने की कोशिश की जा चुरी है। नवेद मियां का कहना है कि किला रामपुर की शान है। इसके यहां के लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। एसपी से मूर्ति की सुरक्षा के इंतजाम की कई बार मांग की जा चुकी है।

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