राजकीय मेडिकल कॉलेजों में जिला अस्पतालों का विलय उचित नहीं : सुनील यादव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन का द्विवार्षिक अधिवेशन आज आयोजित हुआ। पीडब्ल्यूडी के विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित इस अधिवेशन में जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेज के रूप में तब्दील करने से आम जनमानस को रहे नुकसान, एक्स-रे टेक्नीशियन की पदोन्नति, पदनाम बदले जाने, पुरानी पेंशन बहाली जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा हुयी। इसके अलावा …
लखनऊ। उत्तर प्रदेश एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन का द्विवार्षिक अधिवेशन आज आयोजित हुआ। पीडब्ल्यूडी के विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित इस अधिवेशन में जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेज के रूप में तब्दील करने से आम जनमानस को रहे नुकसान, एक्स-रे टेक्नीशियन की पदोन्नति, पदनाम बदले जाने, पुरानी पेंशन बहाली जैसे तमाम मुद्दों पर चर्चा हुयी। इसके अलावा एक मंच पर जुटे एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन,इंडियन पब्लिक सर्विस इम्पलाइज फेडरेशन, फार्मासिस्ट फेडरेशन समेत अन्य संगठनों ने एक सुर में कर्मचारियों के हितों में कदम उठाने की बात कही है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन के महासचिव आर के पी सिंह ने कहा कि सालों से एक्स-रे टेक्नीशियन की पदोन्नती की मांग की जा रही है, लेकिन वह अभी तक पूरी नहीं हुयी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक्स-रे टेक्नीशियन का पदनाम बदलकर टेक्नीशियन ऑफीसर रखे जाने की मांग हमने सरकार से की है। यदि एक महीने बाद हमारी मांगों पर सरकार विचार नहीं करती है,तो मजबूरन हमें आन्दोलन का रुख अपनाना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि एक्स-रे टेक्नीशियन स्वास्थ्य विभाग के रीढ़ की हड्डी है,एक्स-रे टेक्नीशियन की मांगे जायज है,सरकार को उन्हें जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तो यह हालात हैं कि एक एक्स-रे टेक्नीशियन जिस पद पर विभाग में काम शुरू करता है,उसी पद पर रिटायर हो जाता है। ऐसे में सरकारों के लिए यह शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि आज के इस अधिवेशन में कई सारे मुद्दों पर चर्चा हुयी है।
जिसमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश में बन रहे राजकीय मेडिकल कालेज व विलुप्त होते जिला अस्पताल का विषय रहा है। उन्होंने कहा कि राजकीय मेडिकल कालेजों के निर्माण में जिला अस्पताल व महिला अस्पताल का विलय हो रहा है,यह आम जनता के लिए आने वाले समय में ठीक नहीं होगा,जो इलाज अभी एक रूपये के पर्चे में हो रहा है, उसी इलाज के लिए हजारों रूपये चाहिए होंगे।
ऐसे में मेडिकल कालेजों में जिला अस्पतालों का विलय नहीं होना चाहिए,बल्कि अस्पताल को मेडिकल कालेज से संबद्ध करना चाहिए, जिससे उनका मूल स्वरूप बचा रहे और मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा का लाभ मिलता रहे। इसके अलावा इन अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों का भविष्य अंधकार मय हो जायेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा की पुरानी पेशन बहाली पर चर्चा हुयी है,हम इस पर आगे की रणनीत जल्द ही तय करेंगे।
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