लखनऊ: केजीएमयू में हो रही थी दवाओं की कालाबाजारी, आठ कर्मचारी हटाये गये

लखनऊ: केजीएमयू में हो रही थी दवाओं की कालाबाजारी, आठ कर्मचारी हटाये गये

लखनऊ। केजीएमयू में आये दिन कोई न कोई भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है। शनिवार को दवा की कालाबाजारी का मामला खुल कर सामने आया है। जिसके बाद आठ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुये नौकरी से हटा दिया गया है। दरअसल, केजीएमयू में मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड यानी …

लखनऊ। केजीएमयू में आये दिन कोई न कोई भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है। शनिवार को दवा की कालाबाजारी का मामला खुल कर सामने आया है। जिसके बाद आठ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुये नौकरी से हटा दिया गया है। दरअसल, केजीएमयू में मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड यानी की एचआरएफ के तहत मेडिकल स्टोर खोले गए थे। यह मेडिकल स्टोर ओपीडी से लेकर ट्रामा सेंटर तक में मौजूद हैं, जहां से मरीज अपनी दवायें सस्ते दर पर ले सकता है, बताया जा रहा है कि यहां पर बाजार में मिलने वाली दवायें 60 फीसदी तक कम दाम मे मिल जाती हैं।

एचआरएफ के तहत खोले गये मेडिकल स्टोर में मिलने वाली दवाओं की कालाबाजारी का खेल सामने आया है। मरीजों के पर्चे पर लिखे नंबर पर यहां से दवायें सस्ते दामों में खरीदी जाती थी,उसके बाद बाहर बाजारों में बेंच दी जाती थी। जिससे दलाल तगड़ा मुनाफा कमा रहे थे और मरीजों को दवायें नहीं मिल पा रही थी।

इस तरह खुला मामला

बताया जा रहा है दवाओं के कालाबाजारी की शिकायत केजीएमयू के कुलपति से हुयी थी,जिसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने प्रॉक्टर के नेतृत्व में पांच डाक्टरों की टीम बनाकर पूरे मामले की जांच करायी। जांच कर रही टीम ने मामले की जांच कर रिपोर्ट कुलपति को सौंपी, उसके बाद आठ आउटसोर्सिंग कर्मचारी हटाये गये हैं।

अब दवाओं की जब कालाबाजारी पकड़ में आयी है तो केजीएमयू प्रशासन मरीजों को दवा देने के नियम बनाने की बात कह रहा है।केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया है कि जांच के बाद आठ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भूमिका सामने आयी थी,जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया है।

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