भाजपा ने कहा- विपक्ष नहीं चाहता सदन सुचारू रूप से चले

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे ”व्यवधान और अवरोध पैदा करने” के मंत्र पर काम कर रहे हैं तथा वे नहीं चाहते कि राज्यसभा में सुचारू रूप से कामकाज हो। बारह सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच बने गतिरोध को …

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे ”व्यवधान और अवरोध पैदा करने” के मंत्र पर काम कर रहे हैं तथा वे नहीं चाहते कि राज्यसभा में सुचारू रूप से कामकाज हो। बारह सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच बने गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में पांच विपक्षी दलों के नेताओं के नहीं आने के बाद सत्ताधारी दल ने यह आरोप लगाया।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिव सेना सहित जिन पांच दलों को बैठक के लिए बुलाया गया था, उनका तर्क है कि सरकार को सभी विपक्षी दलों को बुलाना चाहिए था क्योंकि सदस्यों के निलंबन का वे एक साथ विरोध कर रहे हैं। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि विपक्ष के रवैये से स्पष्ट है कि वह सदन चलने देना नहीं चाहता और उनके पास हंगामा और व्यवधान के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को यही बात बैठक में शामिल होकर कहना चहिए था और हो सकता था कि सरकार सभी विपक्षी दलों को बैठक के लिए आमंत्रित करती।

ने कहा कि कांग्रेस के आनंद शर्मा ने वर्ष 2010 में सात विपक्षी सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाया था और उल्लेख किया था कि बाद में उनका निलंबन वापस हो गया था और निलंबित सदस्यों ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया था। गोयल ने कार्यवाही का ब्योरा देते हुए कहा कि उस समय के विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सदन में माफी मांगी थी तब जाकर निलंबन रद्द हुआ था। नेता सदन ने कहा कि इसके बावजूद सात में एक सदस्य निलंबित रहे थे।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 की इस घटना में भाजपा का एक भी सदस्य शामिल नहीं था लेकिन इसके बावजूद जेटली ने माफी मांगी थी। गोयल ने कहा कि 12 निलंबित सदस्यों को सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने और आसन का सम्मान बनाए रखने के लिए माफी मांगनी चाहिए और इससे वे छोटे नहीं हो जाएंगे।

संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पिछले छह दशकों से यह परंपरा रही है कि निलंबित सदस्यों को अपने आचरण के लिए माफी मांगने के बाद ही सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई। ज्ञात हो कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ”अशोभनीय आचरण” करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।

इनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा है जबकि सरकार का कहना है कि जब तक ये सदस्य माफी नहीं मांगेंगे तब तक उनका निलंबन रद्द नहीं किया जाएगा। इसी वजह से सदन में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है और कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को सरकार और विपक्षी दलों से आग्रह किया था कि वे आपस में चर्चा कर गतिरोध दूर करें।

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