बरेली: मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम में छात्रों को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन

बरेली: मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम में छात्रों को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन

बरेली, अमृत विचार। आला हज़रत द्धारा स्थापित मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम दरगाह आला हज़रत में छात्रावास के छात्रों को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की अध्यक्षता में मौजूदा दौर को लेकर ये कार्यक्रम संपन्न हुआ। दरगाह के मीडिया …

बरेली, अमृत विचार। आला हज़रत द्धारा स्थापित मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम दरगाह आला हज़रत में छात्रावास के छात्रों को राष्ट्रवाद की शिक्षा देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की अध्यक्षता में मौजूदा दौर को लेकर ये कार्यक्रम संपन्न हुआ।

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि इस कार्यक्रम में मदरसे के वरिष्ठ शिक्षक मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी ने कहा कि विश्व भर में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां की मिट्टी में विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों, भिन्न प्रकार के धर्मो, बहुत सी भाषाओं और अनेक रंग व नस्ल और बहुत से धर्मो और विचार धाराओ की खुशबू रची बसी है। अनेक प्रकार के इन्ही फूलों से मिलकर हमारा देश विश्व के नक्शे पर जगमगा रहा है। यह भारत देश तो इतना उपकारी है कि इस ने हर जमाने में अपने मूल निवासियों के अलावा दूसरे देशों से आने वालो तक को अपनी आगोश में जगह दी है।

वहीं उन्होंने आगे कहा कि यहाँ हर धर्म,हर भाषा, हर रंग और हर संस्कृति के लोग सदैव मिलजुल कर आपसी सौहार्द के साथ रहते चले आ रहे हैं। आपसी भिन्नता के बावजूद राष्ट्रवाद के बिन्दु पर यहाँ के सभी नागरिक हमेशा यक जुट रहे है। जब भी देश के ऊपर कोई संकट आया तब सभी धर्मों के मानने वालों ने इस देश की सुरक्षा के लिये कंधे से कंधा मिलाकर संकट का सामना किया है इतिहास गवाह है कि जब भी किसी ने यहां नफ़रत और भेदभाव का माहौल बनाने का प्रयास किया तो उसे भारत देश की भाईचारे वाली माटी ने उसे अस्वीकार कर दिया।

यहाँ के हिन्दु, मुस्लिम, सिख,ईसाई, पारसी,बौद्ध, जैन आदि ने हमेशा एक दूसरे का सहयोग किया है। एक दूसरे के धार्मिक स्थल का निर्माण कराया है और एक दूसरे के धार्मिक,सांस्कृतिक,सामाजिक और भाषाई कार्यक्रमों के आयोजन मे सहयोग किया है। दशको पूर्व हिन्दुओं,सिखों आदि ने मुस्लिम समुदाय के धर्म सथलों की सुरक्षा भी की,निर्माण भी कराया और भूमि भी दान की। इसी तरह मुस्लिम हुक्मरानों ने भी सभी धर्मो के लिए धार्मिक सथलों की व्यवस्था की जिनके अनेकों उदाहरण हैं। आज ऐसे ही हिंदुस्तान की ज़रूरत है।

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