UP Election 2022 : चौतरफा घिरे राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी आजम खान

UP Election 2022 : चौतरफा घिरे राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी आजम खान

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। रामपुर ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासत के दिग्गज खिलाड़ी के रूप में पहचान पाने वाले सपा नेता व सांसद आजम खान पहली बार चौतरफा राजनीतिक लड़ाई में फंसे हैं। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो जौहर विवि को लेकर शुरू हुई रार अदावत में बदली। उनकी राजनीतिक हस्ती …

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। रामपुर ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासत के दिग्गज खिलाड़ी के रूप में पहचान पाने वाले सपा नेता व सांसद आजम खान पहली बार चौतरफा राजनीतिक लड़ाई में फंसे हैं। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो जौहर विवि को लेकर शुरू हुई रार अदावत में बदली। उनकी राजनीतिक हस्ती मिटाने को योगी का बुलडोजर खूब चला। मगर जेल से चुनावी ताल ठोंक आजम ने जताया है कि कोई मुगालते में न रहे वह अभी चूके नहीं हैं।

खास बातें

  • नवाब खानदान के अलावा भाजपा के प्रत्याशी दे रहे टक्कर
  • नौ बार विधायक, तीन बार रह चुके हैं मंत्री

सूबे में लोकसभा व विधान सभा के चुनाव में आजम खां की चर्चा न हो यह संभव ही नहीं क्योंकि इस नाम के तड़के के बिना राजनीति बेमजा है। रामपुर से मौजूद सपा सांसद आजम खां 1980 में पहली बार विधायक बने थे। 2017 में वह विधायक चुने गए, लेकिन बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने टिकट दिया तो चुनाव लड़कर वह सांसद बने। उनके इस्तीफे से रिक्त सीट पर उनकी पत्नी तंजीम फातिमा विधायक बनीं। रामपुर सीट पर इस बार का चुनाव भाजपा और सपा के बीच अहं की लड़ाई में तब्दील हो चुकी है। आजम खां पर केवल वहां के प्रत्याशी ही नहीं पूरी भाजपा हमलावर है।

ब्रिटिश शासन में रियासत था रामपुर : ब्रिटिश काल में रामपुर जिला रियासत के रूप में था। यहां नवाब खानदान का वर्चस्व था। रामपुर से सपा सांसद और तीन बार उप्र की सपा सरकार में मंत्री रहे आजम खां की जन्मभूमि भी है। इस सीट से वह नौ बार विधायक चुने गए हैं। यह उनका दबदबा ही रहा कि रामलहर हो या कोई और दौर कभी इस सीट पर भाजपा का कमल नहीं खिला।

पंडित नेहरू के खानदान का भी था असर : रामपुर शहर सीट पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. पंडित जवाहरलाल नेहरू के खानदान का भी प्रभाव था। उनके नवाब खानदान से गहरे रिश्ते थे। यह सीट नवाब खानदान या उनके समर्थकों के लिए भी मुफीद रही। यहां से विस का पहला चुनाव कांग्रेस के फजलुल हक खान ने जीता था।

आजम ने बदली रामपुर की सियासत : जब रामपुर की राजनीति में आजम खां का उदय हुआ तो 1977 में वह विस चुनाव लड़े, हालांकि जीत नहीं पाए। पहली बार 1980 में जब आजम खान ने चुनाव जीता तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1985, 1989, 1991, 1993, 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी वह विधायक निर्वाचित हुए। 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खान से आजम हार गए थे। नौ बार के विधायक आजम खां 2019 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए।

सांसद रहते लड़ रहे चुनाव, बेटा भी चुनाव मैदान में
2022 का चुनाव रामपुर के लिए अहम है। सांसद रहते रामपुर सीट से जेल में बंद रहते चुनाव लड़ रहे हैं। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम भी स्वार सीट से दोबारा मैदान में डटे हैं। हालांकि रामपुर सीट पर इस बार आजम के लिए मुकाबला आसान नहीं है। इस सीट से भाजपा ने आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है। यह वहीं हैं जिनकी पैरवी से आजम लंबे समय से जेल की सलाखों के पीछे कैद हैं। आकाश सक्सेना उनको कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

इस बार रामपुर सीट से यह हैं प्रत्याशी
रामपुर सीट पर इस बार सात प्रत्याशियों ने चुनावी ताल ठोंकी है। इसमें भाजपा से आकाश सक्सेना, सपा से मोहम्मद आजम खां, कांग्रेस के सिंबल पर नवाब काजिम अली खां, बसपा के हाथी चुनाव चिह्न पर सदाकत हुसैन प्रमुख रूप से मैदान में हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के फैसल खां, निर्दलीय जावेद खां, हबीब उल जफर खां भी मैदान में हैं।

कौन होगा पस्त, किसका सूरज होगा अस्त
रामपुर सीट की सियासी जंग केवल यहीं तक नहीं सिमटी है, इस पर सूबे की निगाहें टिकी हैं। यहां कौन पस्त होगा और किसका सूरज अस्त होगा, इसका परिणाम दूरगामी असर डालेगा।

भाजपा की लहर में भी जीते आजम
आजम का रूतबा अब तक रामपुर में कम नहीं हुआ है। 2017 के चुनाव में जब प्रदेश में भाजपा के पक्ष में आंधी चली तब भी वह इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। 2017 में उन्होने नौवीं बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज किया था। उन्होने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी शिव बहादुर सक्सेना को हराया था। बाद में जब 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतकर उन्होने सीट खाली की तो वहां से उनकी पत्नी ने उप चुनाव जीतकर सपा के लिए सीट बरकरार रखी।

जिले में 44 प्रत्याशियों का भाग्य लिखेंगे 17,03,367 मतदाता
जिले की पांच विधानसभा सीटों पर 1123 मतदान केंद्र और 2058 मतदेय स्थल पर 14 फरवरी को वोट पड़ेगा। इसमें 44 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला 17,03,367 मतदाता लिखेंगे। इसमें पुरुष मतदाता 905235 और महिला मतदाताओं की संख्या 797938 है। थर्ड जेंडर 194 हैं।

ये भी पढ़ें : UP Election 2022 : न दलों को रास आईं महिलाएं, न आधी आबादी को राजनीति