बरेली: नौ साल तक के बच्चों में तेजी से बनी एंटीबाडी, प्राइमरी स्कूल खुलवाएं

बरेली: नौ साल तक के बच्चों में तेजी से बनी एंटीबाडी, प्राइमरी स्कूल खुलवाएं

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका पर राज्य सरकार ने स्कूलों को खोलने का निर्णय वापस ले लिया लेकिन स्कूलों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कोरोना में स्कूल खोलने के संबंध में जब वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अतुल अग्रवाल से बात की गयी तो …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका पर राज्य सरकार ने स्कूलों को खोलने का निर्णय वापस ले लिया लेकिन स्कूलों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कोरोना में स्कूल खोलने के संबंध में जब वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अतुल अग्रवाल से बात की गयी तो उनका कहना है कि जीरो से नौ साल के बच्चों में तेजी से एंटीबाडी बनी है। यह बात सीरो सर्वे में सामने आ चुकी है। इन्हें कोरोना का कोई खतरा नहीं है।

अभी तक हम कोरोना काल में ऊपर से नीचे की तरफ आगे बढ़ रहे थे, लेकिन बच्चों की शिक्षा को लेकर हमें निचले स्तर से स्कूलों को खोलने की शुरूआत करनी चाहिए। पांचवीं क्लास तक स्कूल खोले जा सकते हैं। सुझाव देते हुए उन्होंने बताया कि प्राइमरी स्कूल खोलने के तीन महीने बाद सेकेंड्री स्कूल खोले जा सकते हैं। तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होने की आशंका पर बाल रोग विशेषज्ञ की राय बिल्कुल अलग है।

वह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइएसीआर) के चौथे सीरो सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर बता रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर अब बाकी देशों में कहर मचा रही है। डेल्टा प्लस वैरियंट को लेकर लोगों को अब कतई चिंता करने की जरूरत नहीं है। देश की 67 प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है। यानि ये आबादी संक्रमित हो चुकी है और वायरस को बेअसर करने के लिए इन लोगों के शरीर में जरूरी एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है। इसमें अच्छी बात यह है कि इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं।

डॉ. अतुल अग्रवाल।

स्कूल खुलें तो टीचर्स और स्टाफ हों वैक्सीनेटेड
डॉ. अतुल ने बताया कि बड़ों की तुलना में छोटे बच्चे वायरस को बहुत आसानी से हैंडल करते हैं। छोटे बच्चों के लंग्स में वे रिसेप्टर्स कम होते हैं, जहां वायरस अटैक करता है। वह कहते हैं कि अगर स्कूल खोले जाते हैं तो टीचर से लेकर स्टाफ पूरी तरह वैक्सीनेटेड होना चाहिए। साथ ही स्कूल खोलने के दौरान कोरोना के नियमों का पूरी तरह पालन होना चाहिए। स्कूल में सुबह की मीटिंग और प्रार्थना सभा किसी भी कीमत पर नहीं हो। स्कूल से जुड़े सभी लोगों को वैक्सीन लगवाना सुनिश्चित करना होगा। वहां टेस्ट पॉजिटिविटी रेट और पब्लिक हेल्थ सिचुएशन क्या है, इस पर भी ध्यान देना होगा।

दूसरी लहर में बच्चे भी हुए प्रभावित
सर्वे के नतीजों पर डा. अतुल ने कहा कि देश की दो-तिहाई आबादी में कोविड एंटीबॉडी मिली है। एक तिहाई पर कोरोना का खतरा है। उनके मुताबिक सर्वे में शामिल 6 से 17 साल के आधे से ज्यादा बच्चों में भी एंटीबॉडी पाई गई है। इसका मतलब है कि दूसरी लहर में संक्रमण ने बच्चों को भी प्रभावित किया है लेकिन नियमित टीकाकरण व कुछ जन्मजात एंडीबाडी होने की वजह से बीमारी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकी। यह भी बताया ‘चौथे सीरो सर्वे में 6 से 17 साल के 28,975 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें 6 से 9 साल के 2,892 बच्चे, 10 से 17 साल के 5,799 बच्चे और 18 साल से ऊपर के 20, 284 लोग शामिल हैं। 18 साल से ऊपर वालों में से 62 प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन नहीं ली थी, जबकि 24 प्रतिशत लोगों ने एक डोज और 14 प्रतिशत ने दोनों डोज ली थी।

School

सबसे ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर हुए थे संक्रमित
डा. अतुल ने बताया कि सबसे ज्यादा हेल्थ केयर वर्कर कोविड के शिकार हो चुके हैं। सीरो सर्वे की रिपोर्ट में वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लेने वाले 62 प्रतिशत वर्कर में एंटीबाडी मिली है। जबकि एक डोज लेने वालों में 81 प्रतिशत और वैक्सीन की दोनों डोज लगते ही 90 प्रतिशत वर्कर सुरक्षित हो गए। हेल्थ केयर वर्कर का यह आंकड़ा पूरी तरह से सिद्ध करता है कोविड वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

बच्चों की पढ़ाई को नुकसान, कोविड नियमों से खुलें स्कूल
कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के बीच स्कूल खोले जाएं या नहीं, इस संबंध में अमृत विचार ने कई अभिभावकों की राय जानी। सभी ने एक राह होकर बताया कि कोरोना की वजह से स्कूल बंद रहे, जिससे बच्चों की पढ़ाई को काफी नुकसान पहुंचा है। कुछ ने कहा कि कोविड नियमों का पालन करते हुए स्कूल खोले जाने चाहिए लेकिन कुछ अभिभावक स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं दिखे। अभिभावकों में तीसरी लहर के आने को लेकर भी डर भी दिखा। वह बच्चों के बचाव को लेकर चिंतित हैं।

कुछ अभिभावकों की बातचीत…

ShivShankar Sharma

मेरा पुत्र प्रभात पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। कोरोना के कारण पढ़ाई का बहुत नुकसान हो चुका है। अगर स्कूल खुलते हैं तो उसमें सब टीचर एवं स्टाफ वैक्सीनेटेड होने चाहिए। मास्क और सैनेटाइजर अनिवार्य होने चाहिए। सोशल डिस्टेसिंग का भी गम्भीरता से पालन होना चाहिए। – शिव शंकर शर्मा, अभिभावक

Neeraj Saxena

मेरी बेटी स्नेहा थ्री डॉट स्कूल में पढ़ती है। मेरा मानना है कि इस समय स्कूल नहीं खुलने चाहिए। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ही सबसे ज्यादा हानिकारक बताई जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए अभी स्कूल नहीं खुलने चाहिए। -नीरज सक्सेना, अभिभावक

Komal Pratap Singh

बरेली में भी तीसरी लहर आ गई है। मुझे लगता है अभी स्कूल नहीं खुलने चाहिए। बच्चों की पढ़ाई का नुकसान तो हो रहा है, मगर जान है तो जहान है। यदि खुलते हैं तो स्कूल की यह जिम्मेदारी है कि कोविड नियमों का पालन सही से हो। ताकि बच्चे सुरक्षित रहें। -कोमल प्रताप सिंह

Prasanjeet Banerjee

मेरे दो बच्चे बीबीएल स्कूल में पढ़ते हैं। एक 5वीं और दूसरा 8वीं में। मुझे नहीं लगता यह सही समय है स्कूल खोलने का। बरेली में डेल्टा वैरिएन्ट के केस भी आ रहे हैं। जब हम देख रहे हैं कि आज बड़े लोग ही कोरोना के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं तो हम बच्चों से यह उम्मीद कैसे रख सकते हैं। -प्रसनजीत बनर्जी

Saurabh Saxena

मेरा बेटा अतिक्ष जीआरएम में 5वीं कक्षा में पढ़ता है। स्कूल खोलने में कोई बुराई नहीं है। बस स्कूल में दो गज की दूरी के नियम का पालन हो। अगर क्लास में 40 बच्चे हों तो उन्हें 20-20 की संख्या में बांटकर क्लास लगानी चाहिए और स्कूल को 7 से 12 तक का समय रखना चाहिए। जिसमें रिसेस का समय बंद कर देना चाहिए। ताकि बच्चे एक दूसरे के सपर्क में ना आ सकें। -सौरभ सक्सेना, अध्यापक

Shishupal singh raghav

स्कूल खुलने चाहिए मगर पूरी सावधानी के साथ। स्कूल यह निश्चित करे कि कोरोना के सभी नियमों का पालन हो। वैसे ही बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हो चुका है।-शिशुपाल सिंह राघव